हरियाणा के इन गांवों में बिल्कुल भी नहीं जलेगी पराली
अंबाला। (कृष्ण बाली) फसलों के अवशेष न जलाएं जाएं, इसको लेकर अब किसान जागरूक होते नजर आ रहे हैं। अंबाला के 2 गांवों में फसल की कटाई के बाद बेलर मशीन की मदद से उनके गठ्ठे बना किसान द्वारा उन्हें मिल्स में बेचा जा रहा है। जिससे पर्यावरण को नुकसान नहीं हो रहा तो वहीं किसान अब कमाई भी करने लगे हैं। 2 गांवों के किसान बिल्कुल भी फसल के अवशेषों को आग के हवाले नहीं करेंगे। [caption id="attachment_438727" align="aligncenter" width="700"] हरियाणा के इन गांवों में बिल्कुल भी नहीं जलेगी पराली[/caption] फसलों की कटाई के बाद किसान द्वारा बचे हुए अवशेषों को आग के हवाले कर दिया जाता था। लेकिन अब अंबाला के दो गांव उगाड़ा व बाड़ा में किसानों द्वारा पंजाब से बेलर मशीन मंगवाई गयी है। जिसकी मदद से पराली के गठ्ठे बना उन्हें स्टोर किया जा रहा है और काम पूरा होने के बाद उन्हें मिल्स के अंदर बेच दिया जाएगा। दोनों गांव अंबाला के आदर्श गांव हैं और दोनों गांवों के अंदर एक हजार एकड़ खेती की जमीन है। किसानों को यह आईडिया कृषि विभाग के डिप्टी डायरेक्टर गिरीश नागपाल ने दिया था जो पंजाब से एक कंपनी की मदद से बेलर मशीन यहां ला पाने में कामयाब रहे। किसानों के लिए यह मशीन जितनी मददगार है उतनी ही फायदेमंद पर्यावरण के लिए है। किसानों का कहना है अब उन्हें कम मेहनत करनी पड़ रही है। पहले उन्हें काफी डीजल खर्च करना पड़ता था अवशेषों को जलाने से लेकर अगली फसल लगाने तक अब खर्च कम होगा और उन्हें पराली के पैसे भी मिलेंगे। यह भी पढ़ें: गोहाना में गरजे भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष, बोले- झूठ के सहारे चल रही कांग्रेस की राजनीति [caption id="attachment_438728" align="aligncenter" width="700"] हरियाणा के इन गांवों में बिल्कुल भी नहीं जलेगी पराली[/caption] बेलर मशीन आने से अब किसान फसल के अवशेषों को आग नहीं लगाएंगे जिससे जमीन को भी नुकसान नहीं होगा। इससे पहले किसानों के पास कोई दूसरा चारा भी नहीं होता था। किसानों को मशीन लेने के लिए ग्राम सचिवालय में रजिस्टर करवाना होता है और गांव के सरपंच उनकी बारी के अनुसार किसानों को मशीन मुहैया करवाते हैं। अवशेषों के गठ्ठे बनाने के बाद उन्हें स्टोर किया जाता है। गांव के सरपंच ने बताया जब पूरी पराली बिक जाएगी तब पता चलेगा कि हर किसान को कितनी कमाई होगी लेकिन अभी अंदाजा है प्रति एकड़ पर किसान को 500 रुपये बच जाएंगे और इसके लिए उन्हें कुछ भी खर्च नही करना पड़ रहा। [caption id="attachment_438726" align="aligncenter" width="700"] हरियाणा के इन गांवों में बिल्कुल भी नहीं जलेगी पराली[/caption] यह भी पढ़ें: राजस्थान में खौफनाक वारदात, पुजारी को जिंदा जलाया यह बेलर मशीनें पूरे गांव को मिले इसके लिए इसका पूरा प्रपोजल बना कृषि विभाग के डिप्टी डायरेकर गिरीश नागपाल चीफ सेक्टरी को दे चुके हैं। ताकि पूरे हरियाणा में इस तरह की मशीने मुहैया हो सके और किसान फसलों के अवशेष न जलाएं। कृषि विभाग के डिप्टी डायरेक्टर गिरीश नागपाल का कहना है कि यह पर्यावरण और किसानों दोनों के लिए फायदेमंद हैं। किसानों को कुछ खर्च नहीं करना पड़ता और उन्हें इससे कमाई भी होगी। इस मशीन के उपयोग के बाद किसान अपनी अगली फसल यानी गेंहू की फसल भी आसानी से और जल्द बीज सकेंगे क्योंकि उनके पास काफी कम समय होता है अगली फसल बीजने के लिए।