Mon, Apr 28, 2025
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चंडीगढ़ प्रशासन को HC का नोटिस, सीलबंद लिफाफे में मेयर चुनाव का रिकॉर्ड फुटेज सहित अगली सुनवाई पर लाने का आदेश

Reported by:  PTC News Desk  Edited by:  Vinod Kumar -- February 04th 2022 03:16 PM
चंडीगढ़ प्रशासन को HC का नोटिस, सीलबंद लिफाफे में मेयर चुनाव का रिकॉर्ड फुटेज सहित अगली सुनवाई पर लाने का आदेश

चंडीगढ़ प्रशासन को HC का नोटिस, सीलबंद लिफाफे में मेयर चुनाव का रिकॉर्ड फुटेज सहित अगली सुनवाई पर लाने का आदेश

चंडीगढ़ के मेयर चुनाव (chandigarh mayor) को चुनौती देने वाली याचिका पर शुक्रवार को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने चंडीगढ़ प्रशासन को नोटिस जारी किया है। आम आदमी पार्टी की मेयर पद की उम्मीदवार अंजू कत्याल सहित प्रेम लता व राम चंद्र यादव ने पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab Haryana High Court) में याचिका दाखिल कर चंडीगढ़ नगर निगम के मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव को चुनौती दी थी। हाई कोर्ट में आम आदमी पार्टी की पार्षद अंजू कत्याल, पार्षद प्रेमलता और राम चंद्र यादव मेयर चुनाव के खिलाफ याचिका दायर की है। अपनी याटिका में उन्होंने कहा था कि चंडीगढ़ मेयर पद के लिए आठ जनवरी को चुनाव करवाया गया। आम आदमी पार्टी के पास सबसे ज्यादा 14 पार्षद जीते थे। वहीं, बीजेपी के पास 13 पार्षद और वोट सांसद का होने के चलते कुल 14 वोट थे। मेयर चुनाव में आप और बीजेपी को 14-14 वोट पड़े थे। मतदान प्रक्रिया के बाद चुनाव अधिकारी ने आम आदमी पार्टी के एक वोट को अवैध करार देकर रद्द कर दिया और बीजेपी की उम्मीदवार सरबजीत कौर को मेयर पद पर विजयी घोषित कर दिया। सरबजीत कौर के मेयर बनने के बाद हाउस में खूब हंगामा भी हुआ था। इस चुनाव को अब हाईकोर्ट में चुनौती दे दी गई है, जिस पर हाई कोर्ट ने शुक्रवार को चंडीगढ़ प्रशासन को नोटिस जारी कर जवाब मांग लिया है। हाईकोर्ट ने आम आदमी पार्टी के पार्षदों की​​​​ याचिका पर सुनवाई करते हुए चंडीगढ़ प्रशासन, नगर निगम व अन्यों को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है। मेयर चुनाव का सारा रिकॉर्ड सीलबंद कर मंगवा लिया है, जिसमें वीडियोग्राफी भी शामिल है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि मौजूदा रुलिंग पार्टी के बड़े प्रभावशाली नेताओं ने निगम चुनाव में कई प्रकार के राजनीतिक षड़यंत्र रचने शुरू कर दिए। आप (AAP) ने सब से ज्यादा 14 सीटें हासिल की थीं और सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी थी। बीजेपी पार्षदों की खरीद-फ़रोख़्त में लग गई, हालांकि आप के किसी भी पार्षद को खरीद नहीं पाई। तिलमिलाहट में बीजेपी ने और तरीकों से नतीजों को अपने पक्ष में करने के प्रयास शुरू कर दिए, जिसमें प्रशासन पर दबाव बनाना भी शामिल था।


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