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पंजाब सरकार-गवर्नर की बीच तनातनी जारी, राज्यपाल ने चिट्ठी में बताया क्या होती है सीएम की ड्यूटी

Reported by:  PTC News Desk  Edited by:  Vinod Kumar -- September 24th 2022 01:07 PM -- Updated: September 24th 2022 06:00 PM
पंजाब सरकार-गवर्नर की बीच तनातनी जारी, राज्यपाल ने चिट्ठी में बताया क्या होती है सीएम की ड्यूटी

पंजाब सरकार-गवर्नर की बीच तनातनी जारी, राज्यपाल ने चिट्ठी में बताया क्या होती है सीएम की ड्यूटी

पंजाब में 27 सितंबर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने पर सरकार और राज्यपाल में तनातनी जारी है। पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने विधानसभा सत्र बुलाने पर जानकारी मांगी थी। इस पर मुख्यमंत्री भगवंत मान ने नाराजगी जताई थी।

Koo AppThe Governor’s assent to the Government is formal before any session of the Legislative Assembly…in 75 years..never a Governor has ever asked the Government for a list of legislative business before convening a session…it is decided by the BAC and the Speaker. …the next government will also get the approval of all the speeches from the governor…that’s it… - Bhagwant Mann (@bhagwantmann) 23 Sep 2022

इसके बाद राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने मुख्यमंत्री भगवंत मान को लिखित में जवाब दिया है। राज्यपाल ने कहा कि मुझे पता है कि मुख्यमंत्री मेरे से काफी नाराज हैं, लेकिन पहले उन्हें अपने लीगल एडवाइजर से बात कर लेनी चाहिए थी, शायद तब उनकी दलील बदल जाए। संविधान के आर्टिकल 167 और 168 में साफ-साफ लिखा है कि मुख्यमंत्री की क्या ड्यूटी है।



राज्यपाल ने अनुच्छेद 167 का हवाला देते हुए लिखा है कि इसके मुताबिक राज्यपाल को सूचना देने के साथ ही प्रत्येक राज्य के मुख्यमंत्री का यह कर्तव्य होगा कि राज्य के कार्यों के प्रशासन सम्बन्धी और विधान विषयक प्रस्थापनाओं की जानकारी भी देनी होगी। राज्य के कार्यों के प्रशासन सम्बन्धी और विधान विषयक प्रस्थापनाओं सम्बन्धी जानकारी भी देनी होगी।

बता दें कि पंजाब की AAP सरकार और गवर्नर बीएल पुरोहित के बीच 27 सितंबर को बुलाए गए विधानसभा सेशन पर तकरार हो गई है। गवर्नर ने पंजाब विधानसभा के सचिव को पूछा इस सेशन का क्या एजेंडा है। इससे पहले सरकार ने बहुमत साबित करने के लिए 22 सितंबर को विधानसभा का स्पेशल सेशन बुलाया था, जिसे दी गई मंजूरी गवर्नर ने वापस ले ली थी।



सीएम भगवंत मान ने इस पर कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा था कि विधानसभा के किसी भी सेशन से पहले गवर्नर या राष्ट्रपति की सहमति एक औपचारिकता है। 75 सालों में किसी भी राष्ट्रपति या गवर्नर ने सत्र बुलाने से पहले कभी विधायी कार्यों की सूची नहीं मांगी। विधायी कार्य बिजनेस एडवाइजरी कमेटी और स्पीकर तय करते हैं।


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