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पीएम मोदी ने किया दुनिया के दूसरे सबसे बड़े सिटिंग स्टैच्यू का उद्घाटन, जानिए इसके बारे में सब कुछ

Reported by:  PTC News Desk  Edited by:  Vinod Kumar -- February 05th 2022 07:00 PM -- Updated: February 05th 2022 07:47 PM
पीएम मोदी ने किया दुनिया के दूसरे सबसे बड़े सिटिंग स्टैच्यू का उद्घाटन, जानिए इसके बारे में सब कुछ

पीएम मोदी ने किया दुनिया के दूसरे सबसे बड़े सिटिंग स्टैच्यू का उद्घाटन, जानिए इसके बारे में सब कुछ

Statue of Equality: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘स्टैच्यू ऑफ इक्‍वालिटी’ का लोकार्पण कर दिया है। ये बैठी हुई मुद्रा में दुनिया की दूसरी सबसे ऊंची मूर्ति है। दुनिया का सबसे बड़ा सिटिंग स्टैच्यू (बैठा हुआ) 302 फीट हाइट का ग्रेट बुद्धा का है, जो थाइलैंड में है। ‘स्टैच्यू ऑफ इक्‍वालिटी’ का निर्माण हैदराबाद के सीमावर्ती इलाके मुचिन्ताल में किया गया है। 216 फीट ऊंची स्टैच्यू ऑफ इक्वालिटी 11वीं सदी के भक्ति संत श्री रामानुजाचार्य की याद में बनाई गई है। प्रतिमा 'पंचधातु' से बनी है, जिसमें सोना, चांदी, तांबा, पीतल और जस्ता का उपयोग किया गया है। इस स्टैच्यू के साथ 108 मंदिर भी बनाए गए हैं, जिन पर कारीगरी ऐसी है कि कुछ मिनट को पलकें ठहर सी जाती हैं। साथ ही 120 किलो सोने का इस्तेमाल करते हुए आचार्य की एक छोटी मूर्ति भी तैयार की गई है। मूर्ति के सभी पार्ट चीन में बनाए गए हैं। बाद में इनकी एसेंबलिंग मुचिन्ताल में हुई। खास बात ये है कि मूर्ति पर कहीं भी बैल्डिंग का निशान नहीं दिखता है। 650 टन की मूर्ति 850 टन स्टील की इनकोर के सहारे खड़ी है। राजस्थान के बंसी पहाड़पुर से पिंक स्टोन, भैंसलाना से पिंक मार्बल, आंध्र-तमिलनाडु से ब्लैक स्टोन लाए गए। एक खास तरह का ब्लैक स्टोन चीन से लाया गया। 54 फीट ऊंचे आधार भवन पर स्थापित है, जिसका नाम 'भद्र वेदी' है। इसमें वैदिक डिजिटल पुस्तकालय और अनुसंधान केंद्र, प्राचीन भारतीय ग्रंथ, एक थिएटर, एक शैक्षिक दीर्घा हैं, जो संत रामानुजाचार्य के कई कार्यों का विवरण प्रस्तुत करते हैं। पूरा कैंपस 200 एकड़ में फैला है, जबकि स्टैच्यू साईट 40 एकड़ में फैली है। इसके साथ ही एक 42 फीट लंबा म्यूजिकल फाउंटेन भी बनाया गया है। इस प्रतिमा की परिकल्पना श्री रामानुजाचार्य आश्रम के श्री चिन्ना जीयार स्वामी ने की। संत श्री रामानुजाचार्य ने आस्था, जाति और पंथ सहित जीवन के सभी पहलुओं में समानता के विचार को बढ़ावा दिया था। रामानुजाचार्य ने राष्ट्रीयता, लिंग, नस्ल, जाति या पंथ की परवाह किए बिना हर इंसान की भावना के साथ लोगों के उत्थान के लिए अथक प्रयास किया था। उन्होंने पूरे भारतवर्ष की यात्रा की। उन्होंने सभी समाजों की जीवनचर्या को समझा। उन्होंने भेदभाव के खिलाफ आध्यात्मिक आंदोलन को बढ़ावा दिया और हजारों वर्ष पहले ही बता दिया कि ईश्वर मानवरूप में है। रामानुजाचार्य का जन्म 1017 में श्रीपेरुंबदूर में हुआ। ‘‘स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी’’ का उद्घाटन भी रामानुजाचार्य की वर्तमान में जारी 1000 वीं जयंती समारोह यानी 12 दिवसीय श्री रामानुज सहस्रब्दी समारोह का एक भाग है।


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