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Makar Sankranti 2022: मकर संक्रांति पर क्यों बनाई जाती है खिचड़ी! कैसी रहती है ग्रहों की चाल

Reported by:  PTC News Desk  Edited by:  Vinod Kumar -- January 09th 2022 12:16 PM -- Updated: January 09th 2022 01:56 PM
Makar Sankranti 2022:  मकर संक्रांति पर क्यों बनाई जाती है खिचड़ी! कैसी रहती है ग्रहों की चाल

Makar Sankranti 2022: मकर संक्रांति पर क्यों बनाई जाती है खिचड़ी! कैसी रहती है ग्रहों की चाल

Makar Sankranti 2022: मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2022) हिंदू समुदाय के लिए हर नए साल का पहला पर्व होता है। इसे इसलिए मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के नाम से जाना जाता है क्योंकि इस दिन सूर्यदेव धनु राशि (Dhanu Rashi) से निकलकर मकर राशि (Makar Rashi) में प्रवेश करते हैं। इस बार मकर संक्रांति 14 जनवरी, शुक्रवार के दिन मनाई जाएगी। इस दिन नदियों में स्नान और दान का खासा महत्व होता है। मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2022) के शुभ अवसर पर लोग घी, गुड़, नमक और तिल के अलावा काली उड़द की दाल, चावल आदि का दान करते हैं। इतना ही नहीं, इस दिन घर में भी उड़द की दाल की खिचड़ी बनाकर खाई जाती है। इस पर्व को कई जगहों पर खिचड़ी के नाम से ही जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन खिचड़ी बनाने, खाने और दान आदि से सूर्यदेव (Surya Dev) और शनिदेव (Shani Dev Blessing) की कृपा प्राप्त होती है। मकर संक्रांति का महत्व माना जाता है कि इस दिन सूर्य देव (Lord Surya) और अपने पुत्र शनि के घर में जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र में उड़द की दाल को शनि देव से संबंधित माना गया है। ऐसे में इस दिन उड़द की दाल की खिचड़ खाने और दान करने से सूर्यदेव और शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही, चावल को चंद्रमा का कारक, नमक को शुक्र का, हल्दी को गुरू बृहस्पति का, हरी सब्जियों को बुध का कारक माना जाता है। वहीं, खिचड़ी की गर्मी से इसका संबंध मंगल से जुड़ता है। इसलिए मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाने से कुंडली में हर तरह के ग्रहों की स्थिति में सुधार होता है। कैसे शुरू हुई मकर संक्रांति पर खिचड़ी बनाने की प्रथा मकर संक्रांति पर खिचड़ बनाने, खाने और दान का चलन बाबा गोरखनाथ के समय से शुरू हुआ था। बताया जाता है खिलजी के आक्रमण के दौरान नाथ योगियों को भोजन बनाने का समय नहीं मिलता था। इस वजह से ही वे लड़ाई के लिए भूखे ही निकल जाते थे। तब बाबा गोरखनाथ (Baba Gorakhnath) ने दाल, चावल और सब्जियों को साथ मिलाकर पकाने की सलाह दी। जल्दी बनने वाली खिचड़ी से योगियों का पेट भी भर जाता था और ये पौष्टिक भी होता है। बाबा गोरखनाथ ने इसका नाम खिचड़ी रखा। खिलजी से मुक्त होने के बाद मकर संक्रांति के दिन योगियों ने उत्सव मनाया और लोगों में खिचड़ी बांटी। उसी समय से ​मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी बनाने की प्रथा की शुरुआत हुई। इतना ही नहीं, इस दिन गोरखपुर के बाबा गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी मेला लगाया जाता है और बाबा गोरखनाथ को इस दिन खिचड़ी का भोग लगाया जाता है।


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