न्यायमूर्ति नथालपति वेंकट रमण होंगे भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश
नई दिल्ली। राष्ट्रपति ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 124 के खंड (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश, न्यायमूर्ति नथालपति वेंकट रमण को भारत का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया है। इस संबंध में विधि एवं न्याय मंत्रालयके न्याय विभाग द्वारा आज अधिसूचना जारी की गई है। न्यायमूर्ति एन वीरमण को नियुक्ति पत्र और नियुक्ति-अधिसूचना की एक प्रतिसौंपी गई है। न्यायमूर्ति नथालपति वेंकट रमण, 24 अप्रैल, 2021 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का पदभार संभालेंगे। वे भारत के 48वें मुख्य न्यायाधीश होंगे। वे पहली पीढ़ी के वकील हैं और किसान परिवार से आते हैं। वे आंध्र प्रदेश में कृष्णा जिले के पोन्नवरम गांव के निवासी हैं। वे किताबें पढ़ने के शौकीन हैं तथा साहित्य में उनकी गहरी रूचि है। वे कर्नाटक संगीत भी बहुत पसंद करते हैं। [caption id="attachment_487100" align="aligncenter" width="700"] न्यायमूर्ति नथालपति वेंकट रमण होंगे भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश[/caption] उन्हें 10.02.1983 को बार में पंजीकृत किया गया था। उन्होंने आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय, केन्द्रीय और आंध्र प्रदेश प्रशासनिक न्यायाधिकरण और भारत के सर्वोच्च न्यायालय में वकालत की है। उन्हें संवैधानिक, सिविल, श्रम, सेवा और चुनाव मामलों में विशेषज्ञता हासिल है। उन्होंने अंतर-राज्य नदी न्यायाधिकरण के समक्ष भी अपना पक्ष प्रस्तुत किया है। यह भी पढ़ें- पीएम मोदी 7 अप्रैल को करेंगे “परीक्षा पे चर्चा”, वर्चुअल माध्यम से होगा कार्यक्रम यह भी पढ़ें- बोर्ड परीक्षाओं में इस बार स्थानीय स्टाफ नहीं दे सकेगा ड्यूटी वकालत करने के दौरान, वे विभिन्न सरकारी संगठनों के पैनल अधिवक्ता थे। वे हैदराबाद स्थित केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण में रेलवे के अधिवक्ता थे। इसके बाद उन्होंने आंध्र प्रदेश के अतिरिक्त महाधिवक्ता के रूप में सेवाएं प्रदान की। न्यायमूर्ति नथालपति वेंकट रमण ने 17.02.2014 से भारत के सर्वोच्च न्यायालय के उप न्यायाधीश के रूप में कार्य किया। उन्होंने 7 मार्च, 2019 से 26 नवंबर, 2019 तक सर्वोच्च न्यायालय कानूनी सेवा समिति के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। उन्होंने 27.11.2019 से राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (एनएएलएसए) के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया है। प्रारंभ में उन्हें 27.06.2000 को आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्होंने 10.3.2013 से 20.5.2013 तक इस उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में भी कार्य किया था।