जलियांवाला बाग की तर्ज पर बनेगी हौंद-चिल्लर गांव की पहचान
रेवाड़ी। (मोहिंदर भारती) 84 के दंगों की भेंट चढ़ा जिला का छोटा सा गांव हौंद अब 35 वर्षों से विरान पड़ा है। हौंद-चिल्लर इंसाफ कमेटी द्वारा आज यहां केसरी निशान साहिब स्थापित किया जा रहा है। कमेटी ने सभी सिख संगठनों से निवेदन किया गया है कि खंडहर हुई इमारतों को जलियांवाला बाग की तरह संभाला जाए।
[caption id="attachment_360482" align="aligncenter" width="700"] जलियांवाला बाग की तर्ज पर बनेगी हौंद-चिल्लर गांव की पहचान[/caption]
हौंद-चिल्लर सिख कमेटी के प्रधान दर्शन सिंह घोलिया ने जानकारी देते हुए बताया कि आज से 35 साल पहले 2 नवंबर 1984 को पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़के सिख विरोधी दंगो में देश के सबसे बड़े नरसंहार में हौंद गांव के 32 सिखों को जिंदा जला दिया गया था। 35 वर्ष पहले यह जीवंत गांव हुआ करता था लेकिन सिख विरोधी दंगों के बाद से 35 वर्ष बीतने के बाद भी यह गांव विरान पड़ा हुआ है।
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अब इस बेचिराग गांव हौंद में फिर से जीवंत करने का प्रयास हौद-चिल्लर सिख कमेटी द्वारा किया जा रहा है। आज कमेटी के प्रधान दर्शन सिंह घोलिया द्वारा केसरी निशान साहेब स्थापित किया गया। उन्होंने कहा कि जलियांवाला बाग की तरह इस गांव को भी पहचान देने के लिए सिखों की तमाम कमेटियों से आग्रह किया गया है। जल्द ही यह गांव हौंद भी अपनी पहचान फिर से बनाएगा।
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