Wed, Apr 2, 2025
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लोकसभा सांसद कुमारी सैलजा का प्रदेश की नायब सरकार पर बड़ा आरोप, बोलीं- ये सरकार कहती कुछ है और करती कुछ है !

कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा केवल प्रचार करती है, काम नहीं। गरीबों और गांवों के विकास की बातें बस भाषणों तक सीमित हैं। जनता का भला तभी होगा जब योजनाओं का लाभ उन तक पहुंचेगा, सिर्फ़ झूठे वादों से पेट नहीं भरता

Reported by:  PTC News Desk  Edited by:  Baishali -- March 28th 2025 04:38 PM
लोकसभा सांसद कुमारी सैलजा का प्रदेश की नायब सरकार पर बड़ा आरोप, बोलीं- ये सरकार कहती कुछ है और करती कुछ है !

लोकसभा सांसद कुमारी सैलजा का प्रदेश की नायब सरकार पर बड़ा आरोप, बोलीं- ये सरकार कहती कुछ है और करती कुछ है !

चंडीगढ़: पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा ने कहा है कि भाजपा सरकार कहती कुछ, करती कुछ और ढिंढोरा ज्यादा पीटती है। भाजपा सरकार की असलियत एक फिर सामने आ गई है। संसद की समिति रिपोर्ट साफ करती हैै कि 34.82 प्रतिशत ग्रामीण विकास बजट खर्च ही नहीं हुआ। मनरेगा, पीएमजीएसवाई जैसी ज़रूरी योजनाएं भी लापरवाही की भेंट चढ़ गईं। भाजपा केवल प्रचार करती है, काम नहीं। गरीबों और गांवों के विकास की बातें बस भाषणों तक सीमित हैं। जनता का भला तभी होगा जब योजनाओं का लाभ उन तक पहुंचेगा,  सिर्फ़ झूठे वादों से पेट नहीं भरता।


कुमारी सैलजा ने कहा है कि ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज से संबंधित संसद की स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि ग्रामीण विकास की केंद्रीय वित्त पोषित योजनाओं के लिए वर्ष 2024-25 में बजट का जो संशोधित अनुमान रखा गया था, उसमें से 34.82 प्रतिशत पैसा खर्च ही नहीं हो सका है। भाजपा सरकार की कोई भी योजना धरातल पर योजनाएं अपेक्षित गति नहीं पकड़ पा रही हैं।  रिपोर्ट में बताया है कि ग्रामीण विकास की केंद्रीय वित्त पोषित योजनाओं के लिए वर्ष 2024-25 में बजट का जो संशोधित अनुमान रखा गया था, उसमें से 34.82 प्रतिशत पैसा खर्च ही नहीं हो सका है। संसदीय समिति ने पाया है कि 2024-25 के संशोधित बजट में आवंटित 1,73,804.01 करोड़ रुपये के मुकाबले वास्तविक व्यय केवल 1,13,284.55 करोड़ रुपये रहा, जो संशोधित अनुमान चरण में आवंटित राशि से 34.82 प्रतिशत कम है। वित्तीय समीक्षा के अनुसार प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) का 15,825.35 करोड़ रुपये, प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना का 3,545.77 करोड़ रुपये, नेशनल सोशल असिस्टेंस प्रोग्राम का 1,813.34 करोड़ रुपये, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन का 2,583.16 करोड़ रुपये, मनरेगा का 1,627.65 करोड़ और दीनदयाल उपाध्याय- ग्रामीण कौशल्य योजना का 1,313.43 करोड़ रुपया वर्ष 2024-25 में खर्च नहीं हो सका।

कुमारी सैलजा ने कहा है कि समिति ने यह भी कहा है कि वित्त वर्ष 2025-26 के लिए ग्रामीण विकास विभाग के कुल बजटीय आवंटन में 2.27 प्रतिशत की मामूली वृद्धि हुई है, जो कि 1,88,754.53 करोड़ रुपये है, जबकि वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान 1,84,566.19 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। यह मामूली वृद्धि ग्रामीण प्रगति की सतत गति के लिए पर्याप्त नहीं है। डीएवाइ-एनआरएलएम को छोड़कर, मनरेगा, पीएमजीएसवाइ, पीएमएवाइ-जी और एनएसएपी जैसी प्रमुख योजनाओं के लिए धन को लगभग स्थिर रखा गया है। ऐसे में सरकार को ध्यान रखना होगा कि ग्रामीण विकास की कोई भी योजना धन की कमी या लक्षित योजनाओं के कार्यान्वयन की धीमी गति के कारण बाधित न हो।

सिरसा में सिंचाई-पेयजल संकट को लेकर सांसद ने सीएम को पत्र लिखा

सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा ने मुख्यमंत्री नायब सैनी को लिखे पत्र में कहा है कि उनके  संसदीय क्षेत्र में सिरसा जिला के 20 गांवों में पानी संकट गंभीर बना हुआ है, जहां पर सिंचाई पानी का कोई प्रबंध नहीं है तो दूसरी ओर पीने के पानी के लिए भी लोग परेशान है। पिछले सात सालों से लोग धिंगतानियां चैनल की मांग कर रहे है पर उन्हें आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिला है। यह माइनर गांव मंगाला से जमाल जा रही है, लेकिन इसके आसपास के 20 गांवों को वंचित रखा है। यहां सिंचाई पानी की कोई सुविधा नहीं है। इन गांवों का जमीनी पानी या ट्यूबवैल का पानी भी 500 फीट नीचे जा चुका है।

जमीनी पानी में भी नमक की मात्रा ज्यादा है। इसलिए यह सिंचाई तो दूर पानी पीने योग्य भी नहीं है। इस समय इन 20 गांवों के ग्रामीण सिंचाई पानी न मिलने से परेशान हैं और पीने के लिए पानी भी पर्याप्त नहीं है। भूमिगत जल का  स्तर गिरता जा रहा है। गांव शहीदांवाली, नटार, सलारपुर, बेगू, रंगड़ी खेड़ा, चौबुरजा सहित एक दर्जन से ज्यादा गांव पीने की पानी से समस्या से परेशान है। इन गांवों में सिंचाई पानी के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। लोग पीने के लिए नहरों से पानी के टैंकर मंगवाने को मजबूर हैं। सैलजा ने सीएम से अनुरोध हैै कि इन 20 गांवों की सिंचाई पानी और पीने के पानी की समस्या पर प्रभावी कदम उठाते हुए फसलों की सिंचाई और लोगों के पीने के लिए पानी की समुचित प्रबंध किया जाए और लोगों की करीब एक दशक से चली आ रही मांग को पूरा किया जाए।  

- With inputs from agencies

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