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Himachal: कुल्लूत देश कैसे बना कुल्लू , पौराणिक महत्व और रामायण महाभारत में भी मिलता है कुल्लू का वर्णन

Reported by:  PTC News Desk  Edited by:  Rahul Rana -- January 09th 2024 11:12 AM
Himachal: कुल्लूत देश कैसे बना कुल्लू , पौराणिक महत्व और रामायण महाभारत में भी मिलता है कुल्लू का वर्णन

Himachal: कुल्लूत देश कैसे बना कुल्लू , पौराणिक महत्व और रामायण महाभारत में भी मिलता है कुल्लू का वर्णन

पराक्रम चन्द : शिमला: कुल्लू का पौराणिक ग्रन्थों में 'कुल्लूत देश' के नाम से वर्णन मिलता है। रामायण , विष्णुपराण  मारकडेण्य पुराण, वृहत्संहिता और कल्हण की राजतरंगिणी में ' कुल्लूत ' का वर्णन मिलता है। वैदिक साहित्य में कूलूत देश को गन्धवों की भूमि कहा गया है। कुल्लू रियासत की स्थापना विहंगमणिपाल ने हरिद्वार ( मायापुरी ) से आकर की थी। भगवती हिडिम्बा देवी के आशीर्वाद से विहंगमणिपाल ने रियासत की पहली राजधानी ( नास्त ) जगतसुख स्थापित की।

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, घाटी को मानव जाति के गढ़ के रूप में माना जाता है। विनाशक बाढ़ के बाद, मानवता के पूर्वज, मनु ऋषि ने वर्तमान मनाली में अपने निवास की स्थापना की थी जिसे ‘मनु-आल्य’ के नाम से जाना जाता है। परशुराम भी इसी घाटी में बसे थे. निरमंड में स्थापित पौराणिक परशुराम मंदिर को इसका साक्ष्य माना जाता है। 


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रामायण काल ​​से जुड़ी कुछ किंवदंतियों के अनुसार, श्रृंगा ऋषि, जो बंजार के पास निवास करते थे, राजा दशरथ द्वारा आयोजित ‘पुत्तरेश्वर यज्ञ’ में शामिल हुए, जिसके बाद भगवान राम का जन्म हुआ। ब्यास नदी का नाम ऋषि वशिष्ठ के द्वारा दिया गया है, जिसका संदर्भ रामायण में पाया जाता है। 

कहा जाता है कि उनके पुत्रों की मृत्यु के बाद जीवन से हार कर ऋषि वशिष्ठ अपने हाथ पैर बांध कर नदी में कूद गए। लेकिन पवित्र नदी ने उनके बंधनों को तोड़ कर उन्हें तट पर उतार दिया। तब से व्यास नदी ‘विपाशा ‘ व्  ‘बंधन की मुक्तिदाता’ के रूप से जानी गई। पुनः ऋषि वशिष्ठ ने खुद को सतलुज में फेंक दिया। लेकिन नदी के पवित्र जल ने खुद को सौ उथले नालों में विभाजित कर दिया और ऋषि को सूखी भूमि पर छोड़ दिया। इसी कारण इस नदी को ‘सतादरी’ के नाम से जाना जाता है। 

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यह भूमि पांडवों से जुड़ी कई किंवदंतियों से भी भरी है। माना जाता है कि पांडव घाटी में अपने निर्वासन का एक हिस्सा बिताया था। मनाली में हिडिम्बा मंदिर, सैंज में शन्चूल महादेव मंदिर और निरमंड के देव धनक मंदिर पांडवों के साथ जुड़े हुए माने जाते हैं। एक पौराणिक कथा के अनुसार,  भीम ने क्रूर दानव हडिम्ब को मारकर उसकी बहन हडिम्बा, जो मनाली की एक शक्तिशाली देवी थी, से शादी कर ली। भीम और हडिम्बा के पुत्र घटोत्कच ने महाभारत में अद्वितीय वीरता और दमख़म दिखाया।

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एक अन्य किंवदंती के अनुसार अर्जुन ने ऋषि ब्यास की सलाह पर, इंद्र्किला के पहाड़ पर अर्जुन गुफा में तपस्या कर इंद्र से शक्तिशाली पशुपति अस्त्र प्राप्त किया था। जिसे अब "देओ टिब्बा" कहा जाता है। कहा जाता है कि महान ऋषि व्यास इस घाटी में महाभारत काल के दौरान रोहतांग दर्रे पर ‘ब्यास कुंड’ नामक एक जगह पर तप करते थे। इसी वजह से विपाशा नदी को वर्तमान में ब्यास का नाम मिला। यह माना जाता है कि मलाना गांव के शक्तिशाली देवता, जमलू ने एक बार चंद्र्खेनी दर्रे से गुजरते हुए देवताओं की टोकरी वहां पर खोल दी और तेज़ हवाओं ने देवताओं को अपने वर्तमान स्थान तक फैला दिया। जिससे कुल्लू को देवताओं की घाटी के रूप में जाने जाना लगा। 

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