विश्व धरोहर कालका-शिमला रेललाइन का होगा विद्युतीकरण
यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर घोषित कालका-शिमला रेलवे लाइन को विद्युतीकृत करने की तैयारी है। ऐसे में रेलवे बोर्ड ने इसे लेकर उत्तर रेलवे अंबाला मंडल को हेरिटेज इंपेक्ट असेस्मेंट रिपोर्ट और डीपीआर तैयार करने के आदेश दे दिए हैं। एचआईए रिपोर्ट के आधार पर ही यूनेस्को ने रेल लाइन के विद्युतीकरण की मंजूरी दी थी।
अंबाला मंडल को एचआईए रिपोर्ट तैयार करने के लिए दिल्ली और गुरुग्राम की दो निजी एजेंसियों के नाम सुझाए गए हैं। रिपोर्ट तैयार होने के बाद इसे मंजूरी के लिए रेलवे बोर्ड यूनेस्को को भेजेगा। यूनेस्को की मंजूरी मिलने के बाद रेलवे लाइन के विद्युतीकरण का काम शुरू जाएगा। बता दें कि कालका-शिमला रेलवे लाइन 2 फीट 6 इंच की 96 किलोमीटर लंबी नैरोगेज रेलवे लाइन है।
कालका-शिमला रेलवे सोसायटी की ओर से इस रेलवे लाइन के विद्युतीकरण के प्रस्ताव पर चिंता जताई गई है। वहीं, सोसायटी के आजीवन सदस्य सेवानिवृत्त इंजीनियर सुभाष चंद वर्मा ने कहा है कि विद्युतीकरण करने से ट्रैक के हेरिटेज स्वरूप से छेड़छाड़ होने का खतरा है। सुरंगों के अंदर जो बिजली लाइन बिछाई जाएगी उसकी चुनौती होगी। दरअसल, 20 फीसदी सुरंगों में पानी का रिसाव होना शुरू हो गया है, जबकि खराब मौसम के कारण बिजली गिरने का भी खतरा मंडराता रहता है।
इलेक्ट्रिक इंजन की गति और वहन क्षमता डीजल इंजन के मुकाबले ज्यादा होती है। ट्रेन संचालन ज्यादा सुरक्षित बेहतर सिग्नल प्रणाली के चलते होता है। वहीं, इलेक्ट्रिक इंजन के संचालन का खर्च डीजल की तुलना में 50 फीसदी तक कम है और इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट्स (EMU) का संचालन रेल लाइन के विद्युतीकरण से सुविधाजनक हो जाता है।
ज्ञात हो कि 1898 और 1903 के बीच बनी इस रेल लाइन को यूनेस्को ने साल 2008 में भारत के पर्वतीय रेलवे विश्व धरोहर स्थल के रूप में शामिल किया गया। इसमें 03 सुरंगें और 869 पुल हैं, जबकि इस मार्ग पर 919 घुमाव आते हैं और उसमें से 48 डिग्री के कोण पर सबसे तीखे मोड़ हैं।
- PTC NEWS