Sun, May 4, 2025
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यह काम करने पर हरियाणा के किसानों को मिलेंगे प्रति एकड़ 7 हजार रुपए

Reported by:  PTC News Desk  Edited by:  Arvind Kumar -- May 07th 2020 09:41 AM -- Updated: May 07th 2020 09:43 AM
यह काम करने पर हरियाणा के किसानों को मिलेंगे प्रति एकड़ 7 हजार रुपए

यह काम करने पर हरियाणा के किसानों को मिलेंगे प्रति एकड़ 7 हजार रुपए

चंडीगढ़। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश के किसानों से अपील की है कि वे जिस प्रकार आने वाली पीढ़ी के लिए अपनी जमीन को विरासत के रूप में छोड़ कर जाते हैं, उसी प्रकार पानी को भी विरासत मान कर चलें, तभी जमीन भावी पीढ़ी के लिए उपयोगी होगी, इसके लिए आज से राज्य सरकार द्वारा ‘मेरा पानी-मेरी विरासत’ योजना की घोषणा की गई है, जिसके तहत इस सीजन में धान के स्थान पर अन्य वैकल्पिक फसल बोने वाले किसानों को 7 हजार रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। मुख्यमंत्री ने यह घोषणा ‘हरियाणा आज’ कार्यक्रम के माध्यम से प्रदेशवासियों को संबोधित करते हुए की। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज प्रदेश का कुछ हिस्सा डार्क जोन हो चुका है, जिसमें 36 ब्लॉक ऐसे हैं, जहां पिछले 12 वर्षों में भू-जल स्तर में पानी की गिरावट दुगनी हुई है अर्थात जहां पहले पानी की गहराई 20 मीटर थी, वो आज 40 मीटर हो गई है। उन्होंने कहा कि जहां पानी की गहराई 40 मीटर से ज्यादा हो गई है और ऐसे 19 ब्लॉक हैं, लेकिन 11 ब्लॉक ऐसे हैं जिसमें धान की फसल नहीं होती है। परंतु 8 ब्लॉक नामत: रतिया, सीवान, गुहला, पीपली, शाहबाद, बबैन, ईस्माइलाबाद व सिरसा ऐसे हैं जहां भू-जल स्तर की गहराई 40 मीटर से ज्यादा है और धान की बिजाई होती है ऐसे ही क्षेत्रों को इस योजना में शामिल किया गया है।Farmers of Haryana will get 7 thousand rupees per acreउन्होंने कहा कि पंचायत के अधीन भूमि, जहां भूमि जल स्तर 35 मीटर से ज्यादा है, उन ग्राम पंचायतों को पंचायती जमीन पर धान लगाने की अनूमति नहीं होगी। प्रोत्साहन राशि सम्बंधित ग्राम पंचायत को ही दी जाएगी। उन्होंने कहा कि इन ब्लॉक के अलावा भी यदि बाकी ब्लॉक के किसान भी धान की बुआई करना छोडऩा चाहते हैं तो वे पूर्व में सूचना देकर प्रोत्साहन राशि के लिए आवेदन कर सकते हैं। उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि धान के स्थान पर कम पानी से तैयार होने वाली अन्य वैकल्पिक फसलें जैसे कि मक्का, अरहर, उड़द, ग्वार, कपास, बाजरा, तिल व ग्रीष्म मूंग (बैशाखी मूंग) की बुआई करने के प्रति अपना मन बनाएं। इससे भावी पीढ़ी के लिए पानी की उपलब्धता भी सुनिश्चित कर सकेंगे। ---PTC NEWS---


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