सरकारी बॉस नहीं, जनता के सेवक बनकर करें काम अधिकारी – दुष्यंत चौटाला
चंडीगढ़। प्रदेश के सड़क एवं भवन निर्माण से जुड़े प्रोजेक्ट्स को लेकर उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने अधिकारियों पर शिकंजा कस दिया है। डिप्टी सीएम ने लोक निर्माण के विभिन्न प्रोजेक्ट्स में देरी के लिए सीधे रूप से विभाग के आला अधिकारियों की जिम्मेवारी तय कर दी है। उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि प्रदेश की जनता के लिए हरियाणा सरकार द्वारा लोक निर्माण के कार्यों में खर्च किए जाने वाले धन को लेकर किसी भी कीमत पर कोताही नहीं होनी चाहिए। अधिकारी यह सुनिश्चित कर लें कि न तो सरकार द्वारा आवंटित धन के खर्च करने में किसी प्रकार की लापरवाही होनी चाहिए और न ही प्रोजेक्ट्स में जनता को समर्पित करने की तय अवधि में देरी हो। मंगलवार को लोक निर्माण के अधिकारियों की बैठक में डिप्टी सीएम ने दो टूक कहा कि यदि कोई प्रोजेक्ट प्रशासनिक स्तर पर लेट होता तो उसके लिए संबंधित अधिकारी जिम्मेवार होंगे और प्रोजेक्ट को लटकाने वाले अधिकारियों के वेतन से इसकी वसूली की जाएगी। यह भी पढ़ें- टोहाना के गांव तलवाड़ी में हुआ 100 फीसदी वैक्सीनेशन यह भी पढ़ें- 25 सितंबर को तीसरे मोर्चे का एलान करेंगे ओमप्रकाश चौटाला डिप्टी सीएम ने प्रदेश में 25 करोड़ से 50 करोड़ रुपए तक की लागत से चल रहे सड़क, फ्लाईओवर, अस्पताल सहित अन्य भवनों के निर्माण कार्यों का स्टेट्स जाना। उन्होंने प्रोजेक्ट में हुई देरी के लिए न केवल संबंधित सर्कल अधीक्षक अभियंताओं से जवाबतलबी की बल्कि इन प्रोजेक्ट के ठेकेदारों से भी देरी का कारण पूछा। उन्होंने ठीक से काम न करने वाले ठेकेदारों को ब्लेकलिस्ट करने के आदेश जारी करते हुए कहा कि यदि कोई ठेकेदार समय पर अपने प्रोजेक्ट को पूरा नहीं करता तो, उसे जुर्माना देना होगा। दुष्यंत चौटाला ने कहा कि अधिकारी अपने-अपने कार्योंलय में सरकारी बॉस की तरह काम न करें बल्कि एक जनसेवक की तरह काम करें। इसके लिए अधिकारी स्वयं चंडीगढ़ अथवा पंचकुला स्थित दूसरे विभागों में आएं और आपस में तालमेल कर अड़चनों को दूर करवाकर फाइल वर्क स्वयं पूरा करवाएं ताकि जनता को समय पर सड़क, पुल, अस्पताल व अन्य सरकारी भवनों का लाभ समय पर मिल सके। उपमुख्यमंत्री ने बैठक में कहा कि जनहित के निर्माण कार्यों को समय पर पूरा करने के लिए अधिकारी स्वयं साईट विजिट करें। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि इंजिनियर इन चीफ हर तीन माह में अधिकारियों के साथ बैठक करें। सर्कल में अधीक्षक अभियंता प्रति माह और कार्यकारी अभियंता हर 15 दिन में बैठक कर प्रोजेक्ट का स्टेट्स जाने और इसकी रिपोर्ट वे मुख्यालय को भेजें। बैठक में विभिन्न प्रोजेक्ट के लागत आखिरी समय में रिवाईज करने के चलन पर रोक लगाने को लेकर भी डिप्टी सीएम ने सख्ती दिखाई और उन्होंने कहा कि यदि किसी प्रोजेक्ट की लागत बढ़ने की उम्मीद है तो आधा प्रोजेक्ट पूरा होते ही अतिरिक्त लागत के लिए रिपोर्ट तैयार करें।