रूस यूक्रेन के बीच तनाव के चलते कच्चा तेल पहुंचा 100 डॉलर प्रति बैरल के पार, भारत में बढ़ सकते हैं पेट्रोल-डीजल के दाम
रूस की ओर से यूक्रेन पर हमले और युद्ध के आसार के चलते कच्चे तेल (Crude oil) के दाम 100 डॉलर प्रति बैरल के रिकॉर्ड स्तर पर जा पहुंचे हैं। सितंबर 2014 के बाद ये पहला मौका है जब कच्चा तेल 100 डॉलर प्रति बैरल को छूआ है। अगर रूस-यूक्रेन संकट जारी रहता है, तो भारत पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी फिर से देख सकता है।
तेल भारत के कुल आयात (Import) का लगभग 25 प्रतिशत है। भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी से ज्यादा तेल इंपोर्ट करता है। तेल की कीमतों में तेजी का असर चालू खाते के घाटे पर पड़ेगा। कच्चे तेल के दाम बढ़ने से भारत में भी तेल के दाम बढ़ सकते हैं। तेल के दाम बढ़ने से महंगाई रिकॉर्ड स्तर को छू सकती है। भारत की तेल कंपनियों ने 4 नवंबर 2021 के बाद से पेट्रोल डीजल के दामों में कोई बदलाव नहीं किया है, जबकि कच्चे तेल के दामों में भारी बढ़ोतरी हो चुकी है। दरअसल देश में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव चल रहे हैं और 10 मार्च को परिणाम आएंगे।
माना जा रहा है कि चुनाव में नुकसान के चलते सरकारी तेल कंपनियां कच्चे तेल के दामों में जबरदस्त तेजी के बावजूद सरकार के दवाब में पेट्रोल डीजल के दामों में कोई परिवर्तन नहीं कर रही हैं। चुनावों के बाद सरकारी तेल कंपनियां घाटा पूरा करने के लिए दाम बढ़ सकती हैं। तेल के दाम बढ़ने से लोगों को महंगाई का झटका जरूर लगेगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि कच्चे तेल की कीमतें 2022 में 125 डॉलर प्रति बैरल और 2023 में 150 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकती हैं। इस साल की शुरूआत से ही कच्चे तेल के दामों में आग लगी है। 2022 में कच्चे तेल के दामों में 25 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है। बीते दो महीने से लगातार कच्चे तेल के दामों में तेजी देखी जा रही है। एक दिसंबर 2021 को कच्चे तेल के दाम 68.87 डॉलर प्रति बैरल था। जो अब 100 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर कारोबार कर रहा है। यानि डेढ़ महीने के भीतर कच्चे तेल के दामों में निचले स्तर से 40 फीसदी की तेजी आ चुकी है।
बता दें कि रूस कच्चे तेल के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है। हैप्पी मॉर्गन के विश्लेषण में कहा गया है कि तेल की कीमतों में 150 डॉलर प्रति बैरल की बढ़ोतरी से वैश्विक जीडीपी विकास दर (Global GDP Growth) घटकर सिर्फ 0.9 फीसदी रह जाएगी।