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वैक्सीन को लेकर सुरजेवाला ने पूछे सवाल, बोले- देश ने आत्मनिर्भरता 4-6 वर्षों में ही अर्जित नहीं की

Reported by:  PTC News Desk  Edited by:  Arvind Kumar -- January 17th 2021 02:15 PM -- Updated: January 17th 2021 02:20 PM
वैक्सीन को लेकर सुरजेवाला ने पूछे सवाल, बोले- देश ने आत्मनिर्भरता 4-6 वर्षों में ही अर्जित नहीं की

वैक्सीन को लेकर सुरजेवाला ने पूछे सवाल, बोले- देश ने आत्मनिर्भरता 4-6 वर्षों में ही अर्जित नहीं की

नई दिल्ली। कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि पूरा देश हमारे मेहनती वैज्ञानिकों, केमिस्ट एवं शोधकर्ताओं की योग्यता, दृढ़ निश्चय व अथक परिश्रम को नमन करता है, जिन्होंने निरंतर कठोर परिश्रम कर रिकॉर्ड समय में कोरोना महामारी की विभीषिका से लड़ने के लिए हिंदुस्तान में टीके का अविष्कार किया। पूरा देश उनका ऋणी है और हमें भारत के इन वैज्ञानिकों पर गर्व है। उन्होंने कहा कि भारत ने यह आत्मनिर्भरता 4-6 वर्षों में अर्जित नहीं की है। यह आजादी के बाद 73 साल की मेहनत का नतीजा है कि आज दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान में गर्भवती माताओं-बच्चों सहित हम 40 करोड़ मुफ़्त टीके प्रतिवर्ष देश के नागरिकों को लगाते हैं। यह भी पढ़ें- डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला को अभय चौटाला ने बताया गद्दार सुरजेवाला के मुताबिक आजादी के बाद भारत के आधुनिक इतिहास में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सरकार ने वैज्ञानिक शोध को बढ़ावा दिया तथा व्यापक तौर पर फैले आजादी के बाद देश में अंधविश्वास को खत्म करने के लिए एक देश व्यापी वैक्सिनेशन या टीकाकरण अभियान शुरु किया ताकि गंभीर बीमारियों से लड़ा जा सके। [caption id="attachment_466862" align="aligncenter" width="700"]Congress Leader Randeep Surjewala वैक्सीन को लेकर सुरजेवाला ने पूछे सवाल, बोले- देश ने आत्मनिर्भरता 4-6 वर्षों में ही अर्जित नहीं की[/caption] कुछ महत्वपूर्ण बीमारियां जिनसे टीकाकरण के माध्यम से 73 वर्षों में हम लड़ पाए वो हैं - टी बी, चेचक, पोलियो, कुष्ठ रोग, खसरा, टिटनेस, डिप्थीरिया, काली खांसी, हैजा, दिमागी बुखार और मष्तिष्क की सूजन। सुरजेवाला ने कहा कि हमें गर्व है कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सरकारों और वैज्ञानिकों की दशकों की मेहनत की वजह से आज भारत दुनिया की आधी से अधिक वैक्सीन पैदा करता है, बनाता है। वहीं सुरजेवाला ने प्रधानमंत्री, नरेंद्र मोदी एवं भाजपा सरकार से कई सवाल भी पूछे हैं। सुरजेवाला ने पूछा कि निशुल्क कोरोना वैक्सीन किसे मिलेगी? कितने लोगों को निशुल्क कोराना वैक्सीन दी जाएगी? आपको निशुल्क कोरोना वैक्सीन कहां से मिलेगी? सुरजेवाला ने कहा कि भारत के ड्रग कंट्रोलर, वी. जी. सोमानी के अनुसार, मोदी सरकार ने कोरोना वैक्सीन की 16.5 मिलियन (165 लाख) खुराकें मंगाई हैं (5.5 मिलियन कोवैक्सीन एवं 11 मिलियन कोवीशील्ड)। हर व्यक्ति को 2 खुराक दिए जाने पर यह वैक्सीन 82.50 लाख डाॅक्टर, स्वास्थ्यकर्मियों आदि को ही दी जा सकेगी, जबकि मोदी सरकारदावा कर रही है कि पहले राउंड में वैक्सीन 3 करोड़ लोगों को दी जाएगी। उन्होंने पूछा कि प्रधानमंत्री इस बात का जवाब देने से कतरा रहे हैं कि भारत की बाकी जनसंख्या, यानि 135 करोड़ नागरिकों को कोरोना वैक्सीन कैसे मिलेगी और क्या यह वैक्सीन उनके लिए भी निशुल्क होगी? यह भी पढ़ें- प्राइवेसी पॉलिसी को लेकर व्हाट्सएप का अपडेट, अब 8 फरवरी को डिलीट नहीं होगा अकाउंट सुरजेवाला ने पूछा कि क्या दलित, आदिवासी, पिछड़ा वर्ग, बीपीएल, एपीएल, गरीब एवं सुविधाओं से वंचित लोगों को वैक्सीन निशुल्क मिलेगी या नहीं? यदि हाँ, तो उन्हें वैक्सीन दिए जाने की क्या योजना है और सरकार कब तक उन्हें निशुल्क वैक्सीन देगी? [caption id="attachment_466859" align="aligncenter" width="700"]Congress Leader Randeep Surjewala वैक्सीन को लेकर सुरजेवाला ने पूछे सवाल, बोले- देश ने आत्मनिर्भरता 4-6 वर्षों में ही अर्जित नहीं की[/caption] 24 अक्टूबर, 2020 को भाजपा एवं वित्तमंत्री, निर्मला सीतारमन ने अपने चुनावी घोषणापत्र में बिहार के सभी लोगों को ‘निशुल्क कोरोना वैक्सीन’ पहुंचाए जाने का वादा किया था। 31 अक्टूबर, 2020 को प्रधानमंत्री मोदी ने देश को भरोसा दिलाया था कि कोरोना वैक्सीन हर व्यक्ति तक पहुंचाई जाएगी।2 जनवरी, 2021 को स्वास्थ्य मंत्री, डाॅक्टर हर्षवर्धन ने निशुल्क वैक्सीन का वादा किया, लेकिन बाद में वो अपनी बात से पीछे हट गए। अब मोदी सरकार यह बताने से इंकार कर रही है, कि किन लोगों को ‘कोरोना वैक्सीन’ निशुल्क मिलेगी और किन्हें नहीं। ‘कोवीशील्ड एवं कोवैक्सीन’ का मूल्य? (i)‘कोवीशील्ड’ एक ‘एस्ट्राजेनेका एजैड वैक्सीन’ है, जो ‘सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया’- एसआईआई द्वारा बनाई जाती है। सीरम इंस्टीट्यूट यह वैक्सीन भारत सरकार को 200 रु./खुराक की दर से दे रहा है। एस्ट्राजेनेका ने वैक्सीन ‘बिना कोई मुनाफा कमाए’देने का वादा किया है। बेल्जियम के मंत्री, ऐवा डे ब्लीकर के अनुसार, उनके लिए एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की कीमत 1.78 यूरो (2.18 अमेरिकी डाॅलर) यानि 158 रु. है। सवाल यह उठता है कि भारत सरकार सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के लिए ज्यादा राशि यानि 200 रु. क्यों दे रही है, जबकि उन्होंने वैक्सीन, ‘बिना कोई मुनाफा कमाए’ देने का वादा किया है। कोवैक्सीन का उत्पादन ‘भारत बायोटेक’ द्वारा किया जाता है। कोवैक्सीन भारत सरकार को 295रु./खुराक में दी जा रही है। भारत बायोटेक ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के सहयोग से कोवैक्सीन बनाई है। ; साथ ही, ‘कोवैक्सीन’ को अनुमति, पहले चरण में 375 प्रतिभागियों एवं दूसरे चरण में 380 प्रतिभागियों यानि कुल 755 प्रतिभागियों पर परीक्षण किए जाने के बाद दी गई। तीसरे चरण के परीक्षणों का अभी इंतजार है। [caption id="attachment_466860" align="aligncenter" width="700"]Congress Leader Randeep Surjewala वैक्सीन को लेकर सुरजेवाला ने पूछे सवाल, बोले- देश ने आत्मनिर्भरता 4-6 वर्षों में ही अर्जित नहीं की[/caption] सवाल यह है – मोदी सरकार भारत बायोटेक को इस वैक्सीन के लिए 95 रु. ज्यादा क्यों दे रही है, जबकि इसका विकास भारत सरकार के स्वामित्व की आईसीएमआर के वैज्ञानिकों ने अपने अनुभव व विशेषज्ञता द्वारा किया है? मोदी सरकार इस वैक्सीन के लिए ज्यादा मूल्य क्यों दे रही है, जिसका परीक्षण केवल 755 लोगों पर किया गया है और इसके तीसरे चरण के परिणामों का अभी भी इंतजार है? क्या इस वैक्सीन का मूल्य सीरम इंस्टीट्यूट की वैक्सीन - एस्ट्राजेनेका से कम नहीं होना चाहिए? कोरोना वैक्सीन का मूल्य ‘खुले बाजार’ में 1000 रु./खुराक क्यों है? 11 जनवरी, 2021 को, सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ अदर पूनावाला ने साफ तौर से कहा कि वो एस्ट्राजेनेका की ‘कोवीशील्ड वैक्सीन’ खुले बाजार में 1000 रु. प्रति खुराक में बेचेंगे यानि व्यक्ति के लिए जरूरी दो खुराकों की कीमत 2000 रु. होगी। प्रश्न यह है कि – जब ‘कोवीशील्ड वैक्सीन’ एसआईआई द्वारा सरकार को 200रु./खुराक में दी जा रही है, तो उन्हें इसे बाजार में 500 प्रतिशत मुनाफे पर बेचकर लोगों की जेब पर डाका डालने की अनुमति कैसे दी जा सकती है? क्या मोदी सरकार का यह कर्तव्य नहीं कि वो सुनिश्चित करें कि लोगों को ‘कोवीशील्ड वैक्सीन’ 1000 रु. प्रति खुराक की बजाय 200 रु. प्रति खुराक में मिले, ताकि लोग इसे आसानी से खरीद सकें? जब एस्ट्राजेनेका ने वैक्सीन ‘बिना कोई मुनाफा कमाए’ देने का वादा किया है, तो सीरम इंस्टीट्यूट को 1000 रु./खुराक मूल्य लेने की अनुमति क्यों दी जा रही है, जबकि सरकार को वो 200रु./खुराक में वैक्सीन दे रहे हैं? क्या कोरोना वैक्सीन ‘राष्ट्रीय आवश्यक दवाईयों की सूची’ में नहीं रखी गई है और क्या 1000रु. प्रति खुराक का मूल्य लिए जाने की अनुमति राष्ट्रीय फार्मास्युटिकल प्राईसिंग अथाॅरिटी द्वारा दी गई है? मोदी सरकार ‘उत्पादन की लागत’, ‘लाईसेंसिंग’ एवं ‘मुनाफे के मार्जिन’ में कंपनियों से पारदर्शिता रखने की मांग क्यों नहीं कर रही? कोरोना वैक्सीन के निर्यात की अनुमति क्यों? एसआईआई भारत से ब्राजील को वैक्सीन की 2 मिलियन यानि 20 लाख खुराकों का निर्यात कर रही है। सवाल यह है -भारत की पूरी जनसंख्या को टीका लगाए जाने से पहले वैक्सीन के निर्यात की अनुमति क्यों दी गई? ‘सभी के लिए कोरोना वैक्सीन’ मोदी सरकार की घोषित नीति होनी चाहिए। हालांकि देश के शेष 135 करोड़ लोगों को ‘निशुल्क टीकाकरण’, या ‘वैक्सीन के मूल्य’, ‘सरकारी खजाने पर लागत के भार’, ‘कंपनियों को मुनाफे के मार्जिन’ आदि के मामले में मोदी सरकार की नीति अस्पष्ट एवं संदेह के दायरे में है। यदि प्रति खुराक 1000 रु. का ‘ऑफ द शेल्फ’ मूल्य तय करने की अनुमति दे दी जाएगी (एक व्यक्ति के लिए जरूरी 2 खुराक का मूल्य 2000 रु.), तो हर नागरिक को कोरोना वैक्सीन के लिए 1600 रु. ज्यादा देने होंगे (सरकार को 400 रु. में दी जा रही 2 खुराक के मूल्य के अलावा)। उदाहरण के लिए यदि 100 करोड़ लोग वैक्सीन के लिए 1600 रु. अतिरिक्त देंगे, तो दवा कंपनियों को 1,60,000 करोड़ रु. का मुनाफा होगा। क्या मोदी सरकार ने जन पटल पर उठाए गए अन्य सवालों के साथ इस बात पर विचार किया है?


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