ताइवान में अमेरिकी दौरे के बाद चीनी सेना तैयार, अलर्ट पर ताइवान, एक और युद्ध देखेगी दुनिया ?
इसी साल फरवरी में शुरू हुए रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद अब दुनिया एक और युद्ध की गवाह बन सकती है। चीन और अमेरिका के बीच ताइवान को लेकर आर-पार की जंग की तैयारी है। खुल तौर पर दोनों देश एक दूसरे के आमने सामने आ गए हैं। यूएस स्पीकर नैंसी पेलोसी ने हाल ही में ताइवान का दौरा किया है और चीन ने इस पर नाराजगी जताई है।
नैंसी पेलोसी के ताइवान दौरे के चलते चीन ने ताइवान के आसपास अपना युद्धाभ्यास तेज कर दिया है। लड़ाकू विमानों की तैनाती कर दी गई है और नागरिका जहाजों समेत तमाम विमानों को भी युद्धाभ्यास वाले क्षेत्रों में प्रवेश करने से इनकार कर दिया गया है। चीन की पूरी सेना को हाई अलर्ट पर रखा गया है जबकि ताइवान में भी लेवल-2 का अलर्ट जारी कर दिया गया है।
[caption id="attachment_677373" align="alignnone" width="700"] नैंसी पेलोसी का ताइवान दौरा (फाइल फोटो)[/caption]
इससे पहले नैंसी पेलोसी के ताइवान दौरे की घोषणा के दौरान ही चीन ने अमेरिका को चेतावनी दी थी कि वो इस मसले में दखलअंदाजी न करे। हालांकि इसके बावजूद नैंसी पेलोसी ने 24 लड़ाकू विमानों के साथ ताइवान का दौरा किया और इस दौरान उन्हें अमेरिकी नौसेना के लड़ाकू विमानों ने भी एस्कॉर्ट किया। नैंसी के इस दौरे से दोनों देशों के बीच अब फिर जंग जैसी स्थिति तैयार होती नजर आ रही है।
[caption id="attachment_677375" align="alignnone" width="700"]
नैंसी पेलोसी की ताइवान की राष्ट्रपति से मुलाकात[/caption]
इस बीच ताइवान ने भी इस पूरे मामले में प्रतिक्रिया दी है। ताइवान के मुताबिक वो भी सुरक्षा के लिहाज से तैयार है और किसी भी परिस्थिति का सामना करने के लिए प्रतिबद्ध है। हालांकि इससे पहले यूएस स्पीकर नैंसी पेलोसी ने ताइवान के लोकतंत्र के प्रति अपनी प्रतिबद्धता भी जाहिर की। नैंसी ने कहा कि वो लोकतंत्र के प्रति ताइवान की प्रतिबद्धता का समर्थन करती हैं।
[caption id="attachment_677374" align="alignnone" width="700"]
नैंसी पेलोसी का ताइवान दौरा[/caption]
चीन और ताइवान के बीच विवाद नया नहीं है। चीनी तट से करीब 100 मील की दूरी पर स्थित ताइवान देश एक छोटा द्वीप है और ताइवान खुद को एक स्वतंत्र संप्रभु राष्ट्र मानता है। हालांकि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ताइवान को चीन का ही हिस्सा बताती रही है। ताइवान का अपना संविधान है, अपना लोकतंत्र है और वहां की सरकार भी वहां के लोग ही चुनते हैं। ऐतिहासिक रूप से भी ताइवान चीन का हिस्सा रहा है औऱ चीन के मौजूदा राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी चीन और ताइवान के एकीकरण की वकालत करते हैं लेकिन इस पूरे मामले में अमेरिका की दखलअंदाजी एक बार फिर दो बड़ी महाशक्तियों के टकराने के संकेत दे रही है।