बूचा नरसंहार पर रूस के खिलाफ UNHRC में वोटिंग से दूर रहा भारत, अमेरिका तिलमिलाया
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने विश्व की शीर्ष मानवाधिकार संस्था से रूस को गुरुवार को निलंबित कर दिया। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) से रूस को निलंबित करने के लिए अमेरिका ने प्रस्ताव पेश किया था। 193 सदस्यीय महासभा (UNGA) में प्रस्ताव के पक्ष में 93 मत पड़े, जबकि भारत सहित 58 देश अनुपस्थित रहे। ‘मानवाधिकार परिषद में रूसी संघ की सदस्यता के निलंबन अधिकार’ शीर्षक वाले प्रस्ताव के खिलाफ 24 मत पड़े थे। ऐसे में प्रस्ताव पारित हो गया। मतदान से अनुपस्थित देशों में बांग्लादेश, भूटान, ब्राजील, मिस्र, इंडोनेशिया, इराक, मलेशिया, मालदीव, नेपाल, पकिस्तान, कतर, सउदी अरब, सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका और संयुक्त अरब अमीरात भी शामिल हैं। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी एस तिरुमूर्ति ने मतदान के बाद कहा, “भारत ने आज महासभा में रूसी महासंघ को मानवाधिकार परिषद से निलंबित करने से संबधित प्रस्ताव पर मतदान में भाग नहीं लिया। हमने तर्कसंगत और प्रक्रिया सम्मत कारणों से यह किया।” एक अमेरिकी सांसद ब्रायन फिट्जपैट्रिक ने कहा है कि वो संयुक्त राष्ट्र में मतदान से दूर रहने के भारत के फैसले से निराश हैं। पेंसिल्वेनिया के रिपब्लिकन सांसद ब्रायन फिट्जपैट्रिक ने सीएनएन को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि रूस के खिलाफ समर्थन नहीं देने वाले देशों को जवाबदेह ठहराना जरूरी है। फिट्जपैट्रिक ने अमेरिका में भारत के राजदूत तरनजीत सिंह संधू के साथ अपनी मुलाकात का जिक्र करते हुए कहा, 'मैं कल ही भारत के राजदूत से मिला था। मैंने उनसे भारत के संयुक्त राष्ट्र में अनुपस्थित रहने के संबंध में बात की।।।हम भारत के रुख से बेहद निराश हैं।' [caption id="attachment_616807" align="alignnone"] [/caption] जब उनसे ये सवाल किया गया कि रूस की बढ़ती आक्रामकता को देखते हुए अमेरिका को क्या कदम उठाने की जरूरत है तो उन्होंने कहा, 'जरूरी है कि अमेरिका उन देशों को जवाबदेह ठहराए जो रूस के खिलाफ खड़े नहीं हो रहे हैं। आज सुबह ही हमें खबर मिली कि जर्मनी रूस के तेल आयात पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने से झिझक रहा है।' इसके साथ ब्रायन फिट्जपैट्रिक ने आगे कहा कि यूक्रेन को रूसी हमले से सामना करने के लिए सभी रक्षात्मक टूल्स की बेहद जरूरत है लेकिन अभी तक हमने ऐसा नहीं किया है। उधर, रूस का कहना है कि बूचा में नरसंहार को लेकर जो भी तस्वीरें दिखाई जा रही हैं वो एक प्लानिंग के तहत की जा रही है। भारत पर बढ़ता अमेरिकी दबाव भारत निष्पक्ष रहते हुए रूस-यूक्रेन मुद्दे को कूटनीतिक तरीके से सुलझाने पर जोर देता आया है। लेकिन अमेरिका लगातार भारत पर दबाव बनाता आया है कि वो रूस की आलोचना करे। अमेरिका भारत-रूस रक्षा संबंधों पर भी सवाल उठा रहा है। उसका कहना है कि भारत हथियारों को लेकर रूस पर अपनी निर्भरता खत्म कर दे, बदले में वो उसे हथियार मुहैया कराएगा। हाल ही में अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने कहा है कि रूसी हथियारों में निवेश भारत के लिए ठीक नहीं है। बीते हफ्ते अमेरिका के उप राष्ट्रीय रक्षा सलाहकार दलीप सिंह भारत आए थे। इस दौरान उन्होंने तीखे लहजे में कहा था कि अगर चीन सीमा पर किसी तरह का उल्लंघन करता है तो रूस भारत के बचाव में नहीं आएगा। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन भी भारत के रुख पर क्वॉड में अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साध चुके हैं। पिछले महीने क्वॉड की मीटिंग के बाद उन्होंने कहा था कि यूक्रेन पर रूसी हमले को लेकर कोई बहाना या किसी तरह का टालमटोल नहीं चलेगा।