लोन लेने वालों के लिए बड़ी राहत, जानिए आरबीआई ने क्या लिया है फैसला
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI-Reserve Bank of India) ने शुक्रवार को आर्थिक नीति की घोषणा कर दी है। आरबीआई ने लगातार 11वीं बार प्रमुख ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। रेपो रेट बिना किसी बदलाव के साथ 4% रहेगा। एमएसएफ रेट और बैंक रेट बिना किसी बदलाव के साथ 4.25% रहेगा। रिवर्स रेपो रेट भी बिना किसी बदलाव के साथ 3.35% रहेगा। हालांकि आरबीआई गवर्नर ने महंगाई को लेकर चिंता जरूर व्यक्त की। दास ने कहा, फिलहाल हमने रेपो रेट को 4 फीसदी पर स्थिर बनाए रखा है। इसका अर्थ यह हुआ कि बढ़ती महंगाई के मद्देनजर ब्याज दर महंगे होने की जो संभावना जताई जा रही थी उसपर फिलहाल विराम लग गया है। इससे कर्ज का प्रवाह बढ़ाने में मदद मिलेगी और महामारी के दबाव से अर्थव्यवस्था को बाहर लाया जा सकेगा। बैंक से कर्ज लेने वालों की ईएमआई फिलहाल महंगी नहीं होने जा रही और जो लोग होमलोन या कोरलोन लेने की सोच रहे हैं उन्हें सस्ते कर्ज का फायदा फिलहाल मिलता रहेगा. सके अलावा, आरबीआई ने जीडीपी ग्रोथ रेट का अनुमान घटाया है। दास ने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध से आर्थिक रिकवरी पर असर पड़ेगा। दास ने मौजूदा वित्त वर्ष 2022-23 के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट के अनुमान को घटाकर 7.2 फीसद कर दिया है। बड़े विदेशी मुद्रा भंडार के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था को राहत दास ने कहा कि बड़े विदेशी मुद्रा भंडार के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था कंफर्ट की स्थिति में है। उन्होंने कहा कि आरबीआई अर्थव्यवस्था की किसी भी विपरीत परिस्थिति से निपटने के लिए तैयार है। दास ने कहा कि सप्लाई चेन में आए व्यवधानों से कमोडिटी और फाइनेंशियल मार्केट पर असर पड़ा है। दास ने कहा कि क्रूड ऑयल की वैश्विक कीमतें काफी चढ़ चुकी हैं और अस्थिर बनी हुई हैं। दास ने बताया कि महामारी ने स्वास्थ्य संकट पैदा किया था और लोगों के जीवन पर इससे बड़ा असर पड़ा था। अब यूरोप में उत्पन्न तनाव से वैश्विक अर्थव्यवस्था की रिकवरी पर असर पड़ेगा और रिकवरी में अधिक समय लगेगा। रेपो रेट (Repo Rate) रेपो रेट को आसान भाषा में ऐसे समझा जा सकता है। बैंक हमें कर्ज देते हैं और उस कर्ज पर हमें ब्याज देना पड़ता है। ठीक वैसे ही बैंकों को भी अपने रोजमर्रा के कामकाज के लिए भारी-भरकम रकम की जरूरत पड़ जाती है और वे भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से कर्ज लेते हैं। इस ऋण पर रिजर्व बैंक जिस दर से उनसे ब्याज वसूल करता है, उसे रेपो रेट कहते हैं। रेपो रेट से आम आदमी पर क्या पड़ता है प्रभाव जब बैंकों को कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध होगा यानी रेपो रेट कम होगा तो वो भी अपने ग्राहकों को सस्ता कर्ज दे सकते हैं। और यदि रिजर्व बैंक रेपो रेट बढ़ाएगा तो बैंकों के लिए कर्ज लेना महंगा हो जाएगा और वे अपने ग्राहकों के लिए कर्ज महंगा कर देंगे।