हरसिमरत के इस्तीफे के बाद दुष्यंत पर भी बढ़ा दबाव
चंडीगढ़। (संजय मल्होत्रा) कृषि विधेयकों को पारित करने के विरोध में शिरोमणि अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर बादल ने केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है। इस इस्तीफ के बाद अब हरियाणा में भाजपा के साथ मिलकर गठबंधन सरकार चला रही जननायक जनता पार्टी पर भी दबाव बढ़ गया है।
शिरोमणि अकाली दल की ही तरह जननायक जनता पार्टी (जजपा) को भी किसान हितैषी दल माना जाता है। चौधरी देवीलाल की धरोहर को आगे बढ़ाने का दम भरने वाली जजपा का प्रदेश के किसान हमेशा अहम वोटबैंक रहे हैं।
ऐसे में अब दबाव खट्टर सरकार में कई अहम विभाग संभालने वाले दुष्यंत चौटाला पर है। ना केवल कांग्रेस जैसी विरोधी पार्टियां बल्कि उनकी अपनी पार्टी के ही कुछ विधायक उन पर इस्तीफे का दबाव बना रहे हैं। इस बारे कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्ववीट किया, "दुष्यंत जी, हरसिमरत कौर बादल की तरह आपको कम से कम डिप्टी सीएम के पद से तो इस्तीफा दे देना चाहिए। आपको किसानों से ज्यादा अपनी कुर्सी प्यारी है।"
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साथ ही सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी ट्वीट किया है, " पंजाब के अकाली दल, AAP ने संसद में कांग्रेस के साथ किसान विरोधी 3 अध्यादेशों का विरोध करने का साहस दिखाया, पर दुर्भाग्य कि हरियाणा के BJP,JJP नेता सत्ता-सुख के लिए किसान से विश्वासघात करने लगे हुए हैं। जब पंजाब के सब दल किसान के पक्ष में एक हो सकते है तो हरियाणा BJP-JJP क्यूँ नही?
दीपेंद्र हुड्डा ने आगे कहा कि अकाली दल नेता हरसिमरत कौर बादल जी के इस्तीफ़े के बाद इस प्रश्न को और बल मिलता है- जब पंजाब के सारे दल किसान के पक्ष में एक होकर केंद्र के इन अध्यादेशों के विरोध में आ सकते हैं तो हरियाणा के सत्तासीन BJP-JJP नेता क्यूं किसान से विश्वासघात कर रहे हैं?
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जाहिर है इन ट्वीट्स के बाद दुष्यंत चौटाला की मुश्किलें बढ़ गई हैं। खास तौर पर स्थिति कुरुक्षेत्र के लाठीचार्ज के बाद और भी विकट हो गई है। जजपा नेता दिग्विजय चौटाला लाठीचार्ज की निंदा जरूर कर रहे हैं लेकिन तीन अध्याधेशों को लेकर उनकी राय केंद्र सरकार की राय से मेल खाती है।
जजपा की मुश्किलें जहां कांग्रेस नेताओं की बयानबाजी से बढ़ी हैं। वहीं पार्टी के अपने विधायक भी पार्टी नेतृत्व पर लगातार दबाव बढ़ा रहे हैं। नारनौंद विधायक रामकुमार गौतम और टोहाना विधायक देवेंद्र बबली ने पहले से ही मोर्चा खोल रखा है। ऐसे में दुष्यंत चौटाला की आज मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से हुई मुलाकात को काफी अहम माना जा रहा है।
दुष्यंत चौटाला हरसिमरत कौर बादल की राह पर चलते हुए मंत्रिमंडल से इस्तीफा देंगे, फिलहाल इसकी संभावना ना के बराबर है। हरियाणा में गठबंधन के पास सत्ता अभी कोई साल पहले ही आई है। चुनाव अभी चार साल दूर हैं। ऐसे में जजपा सरकार से हटने का कोई फैसला लेगी, इसकी संभावना बेहद कम है। वो भी तब जब भाजपा निर्दलीयों के दम पर सत्ता में बने रह सकती है।