श्रीलंका में मंहगाई से हालात हुए बेकाबू, प्रदर्शनकारी हुए उग्र...राष्ट्रपति ने लगाई इमरजेंसी

By  Vinod Kumar April 2nd 2022 12:03 PM

श्रीलंका में पहली बार इतने भयंकर अराजकता के हालात पैदा हुए हैं। महंगाई के खिलाफ(protest against inflation) जैसे पूरा देश सरकार के खिलाफ खड़ा हो गया है। करीब 22 करोड़ की आबादी वाले श्रीलंका में हर चीज की रेट आसमान को छू रही है। लोगों के हिंसक विरोध को देखते हुए श्रीलंका में इमरजेंसी लगा दी गई है। राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे (President Gotabaya Rajapaksa ) ने 1 अप्रैल को एक असाधारण राजपत्र(Extraordinary Gazette) जारी किया, जिसमें सार्वजनिक आपातकाल( Public Emergency) की स्थिति घोषित की गई। Sri-Lanka-declares-public-emergency-2 उन्होंने एक उद्घोषणा में कहा, "सार्वजनिक व्यवस्था की सुरक्षा और समुदाय के जीवन के लिए आवश्यक आपूर्ति और सेवाओं के रखरखाव के लिए आपातकाल घोषित किया गया है।" 1948 में ब्रिटेन से आजादी के बाद से सबसे दर्दनाक मंदी में 22 मिलियन का देश आवश्यक वस्तुओं की भारी कमी, तेज कीमतों में वृद्धि और बिजली कटौती का सामना कर रहा है। संविधान के अनुच्छेद 155 के अनुसार, राष्ट्रपति के पास उद्घोषणा के माध्यम से आपातकाल की स्थिति घोषित करने का एकमात्र विवेक है और उसकी इस घोषणा को अदालतों में चुनौती नहीं दी जा सकती है। राष्ट्रपति द्वारा जारी उद्घोषणा एक महीने के लिए वैध होती है। संसद को 14 दिनों के भीतर इसे मंजूरी देनी होगी। यदि स्वीकृत नहीं हुआ, तो उद्घोषणा समाप्त हो जाएगी। राष्ट्रपति राजपक्षे के आवास के बाहर विरोध प्रदर्शन के हिंसक होने के बाद श्रीलंकाई पुलिस ने शुक्रवार तड़के कोलंबो के कई हिस्सों में रात भर कर्फ्यू लगा दिया था। पुलिस ने 53 लोगों को गिरफ्तार किया है। बता दें कि, ईंधन और अन्य सामानों सहित आवश्यक वस्तुओं की कमी को लेकर लोगों ने यह विरोध प्रदर्शन किया था। पुलिस ने गुरुवार को राष्ट्रपति आवास के पास भीड़ को रोकन के लिए आंसू गैस और पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया। प्रदर्शनकारियों ने कई पुलिस और सेना के वाहनों को आग लगा दी। एक अधिकारी के मुताबिक, झड़पों में कम से कम दो दर्जन पुलिस कर्मी घायल हो गए है। पर्यटन मंत्री प्रसन्ना रणतुंगे ने चेतावनी दी कि इस तरह के विरोध से आर्थिक संभावनाओं को नुकसान होगा। रणतुंगे ने कहा कि, श्रीलंका जिस मुख्य मुद्दे का सामना कर रहा है, वह विदेशी मुद्रा की कमी है और इस प्रकृति के विरोध से पर्यटन को नुकसान होगा और इसके आर्थिक परिणाम होंगे।

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