क्या अखिलेश ने जान-बूझकर किया अपने लोकसभा चुनाव 2024 का ऐलान?

By  Mohd. Zuber Khan November 25th 2022 05:32 PM -- Updated: November 25th 2022 06:54 PM

लखनऊ: एक तरफ़ जहां समाजवादी पार्टी के तमाम समर्थक और कार्यकर्ता मैनपूरी लोकसभा चुनाव में डिंपल यादव को जिताने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर एक सवाल के जवाब में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने साफ़तौर पर इस बात की घोषणा कर दी है कि वह 2024 का लोकसभा चुनाव वहीं से लड़ेंगे, जहां से उन्होंने अपना पहला चुनाव लड़ा था और जीता भी था। यही नहीं, अखिलेश ने ये भी कहा कि उनका काम तो है ही चुनाव लड़ना, इसमें सवाल पूछने वाली कौन-सी बात है?

भले ही अखिलेश ये बात कह रहे हों कि इसमें सवाल पूछने वाली कौन-सी बात है, लेकिन सियासी जानकारों के मुताबिक़, अखिलेश के इस जवाब से ना केवल उत्तर प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में गहमा-गहमी पैदा हो गई है, बल्कि ख़ुद यादव परिवार में  भी माहौल अपॉलिटिकल नहीं रह गया है।

दरअसल, अखिलेश यादव का ये बयान ऐसे समय में आया है जबकि चाचा शिवपाल सिंह यादव ने खुले तौर पर डिंपल यादव के चुनाव की कमान ख़ुद संभाल रखी है और लगातार मीडिया के ज़रिए ये संदेश दिया जा रहा है कि यादव परिवार में अब आपसी कलह पूरी तरह से ख़त्म हो चुकी है। हालांकि मीडिया हलकों में अब ये बहस हो रही है कि हो सकता है कि 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव अपने चाचा शिवपाल सिंह यादव को आज़मगढ़ से मैदान में  उतारने का मन बना चुके हैं, जिस पर चाचा की रज़ामंदी जगज़ाहिर है, वो किसी से छिपी नहीं है।

ये हम सब जानते हैं कि यादव परिवार सिर्फ़ अखिलेश-शिवपाल के बीच ही सीमित नहीं है। यानि अगर कन्नौज अखिलेश वापिस जाएंगे और आज़मगढ़ की सीट शिवपाल यादव को तोहफे में दे दी गई है, तो फिर परिवार के बाक़ी सदस्यों का क्या होगा? ख़ासतौर पर रामगोपाल यादव, धर्मेंद्र यादव और तेज प्रताप के लिए पार्टी या अखिलेश की रणनीति क्या रहने वाली है? 

हालाकि ये समूची तस्वीर बहुत हद तक 8 दिसंबर को साफ़ हो जाएगी। अगर नेताजी की पुश्तैनी सीट मैनपुरी से डिंपल यादव जीतकर, विरासत को बरक़रार रख पाने में कामयाब हो पाती हैं, तो फिर कोई वजह नहीं होगी कि वो 2024 में फिर से मैनपुरी से ही उम्मीदवार बनकर ना लौटें।

राजनीतिक विश्लेषकों के बकौल फिर फिरोज़ाबाद से रामगोपाल यादव के बेटे समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी की हैसियत से चुनावी मैदान में दस्तक देते हुए नज़र आ सकते हैं। वहीं बदायूं से धर्मेंद्र यादव का 2024 में लोकसभा उम्मीदवार बनना लगभग तय है। रही बात तेज प्रताप यादव की, तो उनको कासगंज से लड़वाए जाने की बात पर अखिलेश यादव मुहर लगा सकते हैं।

कुल-मिलाकर इस बात को कहना ग़लत नहीं होगा कि मैनपुरी लोकसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव के नतीजे ही ये तय कर पाएंगे कि भविष्य में उत्तर प्रदेश की राजनीति में समाजवादी पार्टी कहां खड़ी नज़र आएगी।

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