किसान आंदोलन: यात्रियों के लिए एडवाइजरी जारी, इंटरनेट सेवा बंद होने से बढ़ी परेशानी

By  Rahul Rana February 14th 2024 06:41 PM

ब्यूरो: किसान संगठनों द्वारा दिल्ली कूच के आह्वान के चलते सर्वसाधारण को सूचित किया जाता है कि चंडीगढ़ से दिल्ली जाने वाले यात्री पंचकूला, बरवाला, दो सदका, बराड़ा ,बबैन, लाडवा, पिपली, कुरूक्षेत्र के रास्ते अथवा पंचकूला, बरवाला, यमुनानगर (एनएच-344) , लाडवा, इंद्री, करनाल होते हुए दिल्ली पहुंचे। इसी प्रकार, दिल्ली से चंडीगढ़ के लिए करनाल, इंद्री, लाडवा, यमुनानगर (एनएच-344), बरवाला, पंचकूला होते हुए अथवा करनाल, पिपली, लाडवा, बबैन, बराड़ा, दो सदका, बरवाला, पंचकूला होते हुए अपने गन्तव्य स्थान पर पहुँचे। 

हिसार व सिरसा से चंडीगढ़ जाने वाले यात्री कैथल (152-डी), पेहवा से कुरुक्षेत्र होते हुए बबैन,बराड़ा, दो सदका, बरवाला होते हुए पंचकूला पहुंच सकते हैं। इसी प्रकार, रेवाड़ी, नारनौल, जींद से आने वाले यात्री कैथल से पेहवा, कुरुक्षेत्र, लाडवा, बबैन, बराड़ा, दो सडका से पंचकूला पहुंच सकते हैं। 

किसी भी असहज परिस्थिति में डायल-112  पर संपर्क करें। हरियाणा पुलिस द्वारा आमजन से अपील की जाती है कि किसान संगठनों द्वारा दिल्ली कूच की घोषणा को देखते हुए पंजाब जाने के लिए एहतियात के तौर पर रेल मार्ग का उपयोग करें। 

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 वहीं  दूसरी तरफ इंटरनेट सेवा बंद होने के कारण लोगों को भारी परेशानियों का सामना उठाना पड़ रहा है। गौरतलब है कि हरियाणा प्रदेश के कई जिलों में 11 तारीख से इंटरनेट बंद है और अब इंटरनेट बंद की सीमा अवधि बढ़ाकर 15 फरवरी तक कर दी गई है जिस कारण लोगों को भारी परेशानियों का सामना उठाना पड़ रहा है
 
वहीं लोगों का कहना है कि इंटरनेट हम सभी की जिंदगी में एक हम अहम हिस्सा बन चुका है। जिस प्रकार से हरियाणा में रूट डायवर्ट किए गए हैं तो वही जीपीएस के माध्यम से लोग अपने गंतव्य की ओर पहुंच सकते थे।  लेकिन इंटरनेट बंद होने के कारण जीपीएस भी नहीं चल पा रहे और जिस प्रकार से इंटरनेट सेवा बंद हुई तो स्टूडेंट्स को भी भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। क्योंकि इस समय बोर्ड की परीक्षाएं सिर पर है और विद्यार्थी ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाई करते हैं मगर  इंटरनेट सेवा बंद होने के कारण विद्यार्थीयों की पढ़ाई पर भी असर पड़ रहा है। लोगों को चिंता है कि अगर किसान आंदोलन लंबा चला तो उनके लिए आगे परेशानियां और बढ़ सकती है।  आमतौर पर लोग यही कह रहे हैं कि सरकार को किसानों से बातचीत कर इस मसले का समाधान निकालना चाहिए ताकि आमजन को परेशानी ना उठानी पड़े। 

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