हुड्डा बोले- पशु मेलों की बढ़ी फीस वापस ले सरकार, एक ही ठेकेदार को सारा जिम्मा देने की हो जांच
चंडीगढ़ः पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कहना है कि मंदी, महंगाई और महामारी के दौर में भी सरकार किसान और गरीबों को सताने में लगी है। हुड्डा ने सरकार द्वारा पशु मेलों के लिए बनाई गई नयी व्यवस्था पर कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि सरकार ने पशु मेलों की फीस को 10-20 से बढ़ाकर सीधा 1000 रुपए या खरीद बेच पर 4 प्रतिशत फीस लगा दी है। इससे प्रदेश के पशुपालक किसानों पर भारी बोझ पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि मंदी और महामारी के दौर में जहां हर वर्ग सरकार से कुछ राहत की उम्मीद कर रहा है, वहीं सरकार इसके उलट उनसे वसूली करने में लगी है। जनता से पहले ही बेइंतहां टैक्स वसूलने वाली सरकार ने अब गरीब पशुपालकों पर चोट मारने का काम किया है। इतना ही नहीं सरकार ने सभी मेलों का जिम्मा एक ही ठेकेदार को दे दिया है। नेता प्रतिपक्ष ने इसकी जांच करने की मांग की है ताकि पता चल सके कि सरकार ने ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिए सरकारी प्रक्रिया को दरकिनार क्यों किया। साथ ही उन्होंने मांग करी कि सरकार को पशु मेलों की फीस बढ़ोत्तरी को वापिस लेना चाहिए।
हुड्डा ने कहा कि सरकार ने पशुपालकों के साथ प्रदेश के गरीबों को भी निशाना बनाया है। पहले दाल बंद की, उसके बाद गैस सिलेंडर पर मिलने वाली सब्सिडी खत्म की अब जून महीने से उनको राशन कार्ड पर सरसों का तेल देना भी बंद कर दिया। इस बार सरसों की रिकार्ड पैदावार के बावजूद सरकार गरीबों को खाद्य तेल उपलब्ध नहीं करवा पा रही है। ऐसे में सरकार की कल्याणकारी नीति पर आश्रित परिवारों को बाजार से महंगे रेट में सरसों का तेल खरीदना पड़ेगा। सरसों तेल के दाम इस वक्त रिकॉर्ड ऊंचाई पर है। विपक्ष की तरफ से लगातार गरीबों को राहत देने की मांग उठाई गई। हमने सरकार से मंदी प्रभावित जरूरतमंद व दिहाड़ीदार परिवारों को आर्थिक मदद देने की गुहार लगाई। लेकिन इसके उलट सरकार पहले से मिल रही राहतों में ही कटौती करने में लगी है। हुड्डा ने कहा कि सरकार को ना सिर्फ गरीबों को सरसों का तेल मुहैया करवाना चाहिए, बल्कि जरूरत के मुताबिक उनका कोटा भी बढ़ाना चाहिए।
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इसके अलावा हुड्डा ने एक बेहद ही गंभीर विषय की तरफ सरकार का ध्यान दिलाया है। उन्होंने कहा कि ब्लैक फंगस की दवा सप्लाई के लिए सरकार ने एक राज्य स्तरीय कमेटी बनाई है, जो प्रदेश मुख्यालय पंचकूला से संचालन कर रही है। ऐसे में जिला स्तर पर दवाई पहुंचने में 2 से 3 दिन लग रहे हैं। ये देरी मरीजों के लिए जानलेवा साबित हो रही है। इसलिए सरकार को प्रदेश स्तरीय कमेटी के निर्देशन में जिला स्तर पर दवा की उपलब्धता सुनिश्चित करनी चाहिए ताकि, इस घातक बीमारी से जूझ रहे मरीजों को वक्त पर पर्याप्त दवा मिल सके।