विधानसभा में हुड्डा-विज के बीच जम कर हुई तनातनी, विज बोले- मैं जनता का प्रतिनिधि हूं, आपका नहीं !
विज ने कहा कि जब भूपेन्द्र सिंह हुड्डा मुख्यमंत्री थे, तब यह मुझे उठा-उठा कर बाहर भिजवा दिया करते थे, तब भी यह (भूपेन्द्र सिंह हुड्डा) बोलने नहीं दिया करते थे और हमें एक-एक शब्द बोलने के लिए संघर्ष करना पड़ता था...

चंडीगढ़: हरियाणा के ऊर्जा, परिवहन एवं श्रम मंत्री अनिल विज ने कहा कि ‘‘मैं जनता से चुनकर आया हूं, मुझे जनता ने विधायक बनाया है, मुझे जनता ने सर्टिफिकेट दिया है इसलिए 5 साल मैं यहां हरियाणा विधानसभाा के सदन में बोलूंगा’’। विज हरियाणा विधानसभा में चल रहे बजट सत्र के दौरान कांग्रेस नेता भूपेन्द्र सिंह हुड्डा द्वारा बजट के संबंध में उठाए जा रहे मुददों के जवाब में बोल रहे थे।
अनिल विज ने कहा कि ‘‘मैं आपकी (भूपेन्द्र सिंह हुड्डा) वजह से नहीं आया हूं, और आज यह कह रहे हैं कि हमें आप बोलनेे नहीं देंगे, मुझे जनता ने चुनकर यहां पर भेजा है। उन्होंने कहा कि जब यह (भूपेन्द्र सिंह हुड्डा) मुख्यमंत्री थे, तब यह मुझे उठा-उठा कर बाहर भिजवा दिया करते थे, तब भी यह (भूपेन्द्र सिंह हुड्डा) बोलने नहीं दिया करते थे और हमें एक-एक शब्द बोलने के लिए संघर्ष करना पड़ता था’’।
उन्होंने सदन में कांग्रेस नेता से सवाल करते हुए कहा कि ‘‘कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा बार-बार खर्चों की बात कर रहे हैं, इसलिए आप बता दो कि किस चीज में खर्च कम किया जाए, किस सर्विस में खर्च कम किया जाए, आप बता दो कि स्वास्थ्य में कम करें, शिक्षा में कम करें, कृषि में कम करें, परिवहन में कम करें, किसमें कम करें’’।
उन्होंने कांग्रेस नेता को सलाह देते हुए कहा कि ‘‘खाली विषय उठाने से बात नहीं होती है कि आप खाली विषय उठाओ- खाली मुद्दे उठाओ, उनका समाधान भी बताया जाए कि यहां पर खर्च कम किया जाए’’। श्री विज ने बताया कि ‘‘हमें कितना आ रहा है वह हमने बजट में बता दिया। इसके अलवा, उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि हम किस चीज में पीछे, वह भी बताया जाए’’। उन्होंने बजट का जिक्र करते हुए बताया कि ‘‘कुल बजट में हम ज्यादा है जोकि 2 लाख 5 हजार करोड रुपए का बजट पेश किया गया है। इसलिए आप हमें बताएं कि हम कम कहां पर हैं’’।
इधर, मंत्री विज ने कहा कि ‘‘राई स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी बनाई गई थी, तब इसका वाइस चांसलर उस समय एक खेल पर्सन कपिल देव को बनाया गया था। उन्होंने बताया कि हम इसके पक्ष में हैं कि खेल पर्सन ही इसका वाइस चांसलर होना चाहिए क्योंकि खिलाडियों की भावना को एक खेल पर्सन हीं ज्यादा अच्छी प्रकार से समझ सकेगा। लेकिन उस समय किसी कारण से केंद्र में ऑब्जेक्शन लग गया था और यूनिवर्सिटी आगे नहीं चल सकी। इसलिए उसको ही देखकर अब यह प्रस्ताव लाया जा रहा है और इस संबंध में सरकार बैठकर सोचेगी’’।