Nayab Saini Political Journey: 'मिशन हरियाणा' से कांग्रेस का किला भेद कर दूसरी बार सीएम बनने वाले नायब सैनी का सियासी सफर
Nayab Saini Political Journey: हरियाणा विधानसभा चुनाव में जीत की हैट्रिक लगाने के बाद नायब सिंह सैनी ही नई सरकार के मुखिया होंगे। बुधवार को हुई विधायक दल की बैठक में सर्वसम्मति के साथ सैनी के नाम पर मोहर लग गई। जिसके बाद कार्यवाहक सीएम सैनी राज्य के सीएम बनने के दावे के साथ राजभवन पहुंचे और राज्यपाल से मुलाकात की।
ब्यूरोः Nayab Saini Political Journey: हरियाणा विधानसभा चुनाव में जीत की हैट्रिक लगाने के बाद नायब सिंह सैनी ही नई सरकार के मुखिया होंगे। बुधवार को हुई विधायक दल की बैठक में सर्वसम्मति के साथ सैनी के नाम पर मोहर लग गई। जिसके बाद कार्यवाहक सीएम सैनी राज्य के सीएम बनने के दावे के साथ राजभवन पहुंचे और राज्यपाल से मुलाकात की। राजभवन पहुंचकर नायब सैनी ने सरकार बनाने का दावा पेश किया। सैनी लगातार दूसरी बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। हरियाणा राज्य गठन के बाद ऐसा पहला मौका होगा कि कोई पार्टी लगातार तीसरी बार सत्ता में वापसी कर रही है। चुनाव से पहले राजनीतिक टिप्पणीकार से लेकर राज्य के कई नेता दावा करते नहीं थक रहे थे कि राज्य में भाजपा सत्ता से बाहर होने जा रही है। लेकिन चुनाव परिणामों ने सभी को चौंका दिया। नायब सिंह सैनी दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। इसलिए जानना जरूरी है कि आखिर कैसा रहा है सैनी का सियासी सफर? आखिर कैसे सैनी भाजपा के एक कार्यकर्ता से राज्य के मुख्यमंत्री पद तक पहुंचे, आखिर कैसे सैनी ने इस बार कांग्रेस का किला भेद मिशन हरियाणा को अंजाम दिया।
नायब सैनी का जीवन
अंबाला के मिजापुर माजरा गांव में 25 जनवरी, 1970 को नायब सिंह का जन्म हुआ। उनका परिवार अंबाला जिले के नारायणगढ़ विधानसभा के गांव मिर्जापुर का रहने वाला है। सैनी ने यूपी की चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की। 90 के दशक में अंबाला से ही उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। वे 1994 में एमएल खट्टर के साथ भाजपा में शामिल हुए। सैनी ने इससे पहले संघ से जुड़कर भी काम किया। सैनी ने अंबाला बीजेपी के जिला युवा मोर्चा में महासचिव और जिला अध्यक्ष पदों की कमान संभाली। इसके बाद पार्टी ने उन्हें हरियाणा किसान मोर्चा के महासचिव पद की जिम्मेदारी भी दी। नायब सिंह सैनी ने साल 2009 में पहली बार नारायणगढ़ विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन वे यह चुनाव हार गए। साल 2012 में पार्टी ने उन्हें अंबाला में जिला अध्यक्ष बनाया। साल 2014 में नायब सिंह सैनी ने एक बार फिर नारायणगढ़ सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा और जीतकर विधानसभा पहुंचे। साल 2016 में उन्हें हरियाणा सरकार में श्रम-रोजगार मंत्री बनाया गया। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के इस्तीफे के बाद पार्टी ने उन्हें सीएम बनाया।
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सैनी को सीएम बना कर खट्टर को दिल्ली बुला लिया जाता है। जिस पर हरियाणा की राजनीतिक गलियारों में कहा जाने लगा कि भाजपा राज्य में सत्ता बचाने के लिए पुराने चेहरे को साइड कर नए ओबीसी चेहरे को सामने ला रही है। चुनावी टिप्पणीकार कहने लगे कि राज्य में चुनावी हार का ठीकरा सैनी के सिर पर ही फोड़ा जाएगा। लेकिन नायब सैनी इन बातों और बयानों से इतर राज्य में भाजपा की वापसी की तैयारी की प्लानिंग में लगे थे। जिसे भाजपा के लिए मिशन हरियाणा कहा गया।
क्यों जरूरी था भाजपा का जीतना ?
मिशन हरियाणा का सफल होना या विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करना इसलिए भी जरूरी था क्योंकि लोकसभा चुनाव के बाद ये किसी राज्य का पहला विधानसभा चुनाव था। लोकसभा चुनाव में बीजेपी के प्रदर्शन के बाद अगर हरियाणा में पार्टी की हार होती तो इसका असर केंद्र में बने एनडीए गठबंधन पर भी दिखाई दे सकता था। नायब सैनी के लिए जरूरी था कि वे राज्य के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत की हैट्रिक लगवा कर अपने आप को भी साबित कर सकें। इसके लिए सैनी और भाजपा हरियाणा के प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान ने मिलकर मिशन हरियाणा बना कर जीत हासिल की।
साधारण परिवार में जन्म लेने से लेकर एक राज्य की नियति को आकार देने तक नायब सिंह सैनी ने एक लंबी राजनीतिक विरासत को तय किया है। एक पार्टी कार्यकर्ता, फिर जिला स्तर पर जिम्मेदारी, पहला चुनाव हारना लेकिन फिर दूसरा चुनाव जीतकर मंत्री बनना और समय आने पर मुख्यमंत्री के पद तक पहुंचना। कहने को ये राजनीतिक विरासत एक लाइन में पूरी हो जाती है लेकिन इसे पूरा करने के लिए नायब सिंह सैनी ने सालों मेहनत और लगन से पार्टी और सरकार के भीतर रहकर काम किया है।