किसान आंदोलन 2024: पीटीसी न्यूज़ की कलम से समझिए किसान आंदोलन पार्ट-II की ABC...
किसान आंदोलन एक बार अपने चरम पर है. 16 दिसंबर को किसानों ने ट्रैक्टर मार्च किया जबकि कल यानी 18 दिसंबर को किसान पंजाब में रेल रोकने का आह्वान कर चुके हैं, ऐसे में ये समझना ज़रूरी है कि इस आंदोलन के दूरगामी परिणाम क्या हो सकते हैं या फिर ये भी कि अब तक क्या कुछ हो चुका है !
Baishali
December 17th 2024 12:51 PM --
Updated:
December 17th 2024 12:55 PM
ब्यूरो: पिछले 11 महीने से शंभू बॉर्डर पर चल रहा किसान आंदोलन को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है. साथ ही किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के अनशन और उनकी सेहत को लेकर पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है और संभावना है कि आज भी इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में चर्चा हो. इस बीच आइए एक बार सरसरी निगाह डालते हैं कि अब तक इस आंदोलन में क्या कुछ हुआ, खास तौर पर आंदोलन के दूसरे चरण में क्या क्या हुआ. लेकिन सबसे पहले देखते हैं कि आखिर किसानों की वो 13 मांगें हैं क्या :
21 फरवरी : पुलिस-किसानों में टकराव हुआ। बठिंडा के शुभकरण की मौत हुई। कई किसान गिरफ्तार।
17 अप्रैल : किसानों की रिहाई की मांग को लेकर किसान रेलवे ट्रैक जाम कर बैठ गए।
2 सितंबर : शंभू बॉर्डर खोलने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी बनाई।
18 नवंबर : किसानों ने 6 दिसंबर को दिल्ली कूच का ऐलान किया
26 नवंबर : किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को पंजाब पुलिस ने हिरासत में लिया, आमरण अनशन शुरू।
6 दिसंबर: शंभू बॉर्डर से दिल्ली कूच करने की कोशिश की। हरियाणा पुलिस ने आंसू गैस से खदेड़ा।
1. सभी फसलों की MSP पर खरीद की गारंटी का कानून बने ।
2. डॉ. स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के हिसाब से कीमत तय हो।
3. डीएपी खाद की कमी को दूर किया जाए।
4. किसान-खेत मजदूरों का कर्जा माफ हो, पेंशन दी जाए।
5. भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 दोबारा लागू किया जाए।
6. लखीमपुर खीरी कांड के दोषियों को सजा दी जाए।
7. मुक्त व्यापार समझौतों पर रोक लगाई जाए।
8. किसान आंदोलन में मृत किसानों के परिवारों को मुआवजा सरकारी नौकरी मिले।
9. विद्युत संशोधन विधेयक 2020 को रद्द किया जाए।
10. मनरेगा में हर साल 200 दिन का काम, 700 रुपए दिहाड़ी दी जाए।
11. नकली बीज, कीटनाशक दवाइयां व खाद वाली कंपनियों पर कड़ा कानून बनाया जाए।
12. मिर्च, हल्दी एवं अन्य मसालों के लिए राष्ट्रीय आयोग का गठन किया जाए, और
13. संविधान की 5 सूची को लागू कर आदिवासियों की जमीन की लूट बंद की जाए।
2. डॉ. स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के हिसाब से कीमत तय हो।
3. डीएपी खाद की कमी को दूर किया जाए।
4. किसान-खेत मजदूरों का कर्जा माफ हो, पेंशन दी जाए।
5. भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 दोबारा लागू किया जाए।
6. लखीमपुर खीरी कांड के दोषियों को सजा दी जाए।
7. मुक्त व्यापार समझौतों पर रोक लगाई जाए।
8. किसान आंदोलन में मृत किसानों के परिवारों को मुआवजा सरकारी नौकरी मिले।
9. विद्युत संशोधन विधेयक 2020 को रद्द किया जाए।
10. मनरेगा में हर साल 200 दिन का काम, 700 रुपए दिहाड़ी दी जाए।
11. नकली बीज, कीटनाशक दवाइयां व खाद वाली कंपनियों पर कड़ा कानून बनाया जाए।
12. मिर्च, हल्दी एवं अन्य मसालों के लिए राष्ट्रीय आयोग का गठन किया जाए, और
13. संविधान की 5 सूची को लागू कर आदिवासियों की जमीन की लूट बंद की जाए।
अब आइए देखते हैं कि 2024 में कब-कब किसान आंदोलन हुआ और इस दौरान क्या-क्या हुआ:
13 फरवरी : किसान दिल्ली रवाना हुए। पुलिस ने शंभू और खनौरी बॉर्डर पर बैरिकेडिंग कर रोका।
21 फरवरी : पुलिस-किसानों में टकराव हुआ। बठिंडा के शुभकरण की मौत हुई। कई किसान गिरफ्तार।
17 अप्रैल : किसानों की रिहाई की मांग को लेकर किसान रेलवे ट्रैक जाम कर बैठ गए।
2 सितंबर : शंभू बॉर्डर खोलने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी बनाई।
18 नवंबर : किसानों ने 6 दिसंबर को दिल्ली कूच का ऐलान किया
26 नवंबर : किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को पंजाब पुलिस ने हिरासत में लिया, आमरण अनशन शुरू।
6 दिसंबर: शंभू बॉर्डर से दिल्ली कूच करने की कोशिश की। हरियाणा पुलिस ने आंसू गैस से
8 दिसंबर : दोबारा दिल्ली कूच की कोशिश की, हरियाणा पुलिस ने एंट्री नहीं दी, किसान वापस लौटे। 14 दिसंबर: किसानों ने तीसरी बार दिल्ली की तरफ मार्च की कोशिश की लेकिन हरियाणा पुलिस की तरफ से आंसू गैस के गोले दागे गए, वाटर कैनन से पानी की बौछारें की गईं, जिसमें 10 किसान घायल हुए, इसके बाद मार्च टाल दिया गया।
16 दिसंबरः इस दिन पंजाब को छोड़कर देशभर में ट्रैक्टर मार्च निकाला गया, हालांकि हरियाणा की जींद (जहां के पास ही खनौरी बॉर्डर है) में इस मार्च का असर कम देखने को मिला
खनौरी बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन में किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल आमरण अनशन पर बैठे है और उनका वजन भी काफी कम हो गया है. डॉक्टरों ने उनकी सेहत को लेकर चिंता भी जताई है. वहीं देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गृह मंत्री अमित शाह और कृषि मंत्री शिवराज सिंह से इस मुद्दे को लेकर मीटिंग की थी जहां दोनों नेताओं ने पीएम मोदी को किसान आंदोलन की जानकारी दी। बैठक में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल भी शामिल थे।
आइए जानते हैं कि किसानों के इस आंदोलन से देश की सामाजिक और आर्थिक नीति पर क्या कुछ असर पड़ सकता है:
देश पर पड़ने वाला आर्थिक असर:
अगर किसान आंदोलित रहते हैं और खेती में रुकावट आती है, तो कृषि उत्पादों की कमी हो सकती है, जिससे खाद्य कीमतों में वृद्धि हो सकती है।
किसान आंदोलन के चलते मंडियों में उत्पादों की आपूर्ति कम हो सकती है, जो कृषि व्यापार और व्यापारिक गतिविधियों को प्रभावित कर सकता है।
सामाजिक तौर पर पड़ने वाला असर:
अगर किसानों की मांगें पूरी नहीं होती हैं, तो उनके जीवन स्तर पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। इससे ग्रामीण इलाकों में अशांति बढ़ सकती है।
आंदोलन के दौरान किसानों के बीच एकता और संघर्ष की भावना प्रबल हो सकती है, जिससे सामाजिक ढांचा मजबूत या प्रभावित हो सकता है।
देश की राजनीति पर क्या प्रभाव डालेगा ये आंदोलन
किसान आंदोलन से सरकार पर नीतिगत बदलावों के लिए दबाव पड़ता है, जो राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित कर सकता है।
किसानों का एक बड़ा वर्ग होने के कारण, राजनीतिक पार्टियां इस मुद्दे को अपने फायदे के लिए भुना सकती हैं, जो चुनावी राजनीति को प्रभावित कर सकता है।
वैश्विक प्रभाव:
यदि आंदोलन लंबा चलता है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बनती हैं, तो भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि पर असर पड़ सकता है, विशेषकर कृषि और मानवाधिकार के मुद्दों को लेकर
संवैधानिक और कानूनी असर:
आंदोलन से किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए कानूनी सुधार हो सकते हैं। इससे कृषि क्षेत्र में सुधार और नीतियों में बदलाव हो सकता है।
कुल मिलाकर, किसान आंदोलन का देश पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ सकता है, जो कृषि, राजनीति, समाज और अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करेगा।