शिमला: 175 साल पुरानी ढली टनल में कितना हुआ बदलाव, सुरंग के ऊपर क्यों हुए कब्जे, क्या खतरे की जद्द में है टनल ?
पहाड़ों की रानी शिमला से ऊपरी शिमला क्षेत्र, मंडी, कुल्लू और किन्नौर जिलों को जोड़ने वाली मुख्य संजौली ढली सुरंग 175 साल पुरानी है।
पराक्रम चन्द : शिमला : पहाड़ों की रानी शिमला से ऊपरी शिमला क्षेत्र, मंडी, कुल्लू और किन्नौर जिलों को जोड़ने वाली मुख्य संजौली ढली सुरंग 175 साल पुरानी है। जब ये सुरंग बनी थी तो इसके ऊपर कोई मकान का निर्माण नही था, और होना भी नही चाहिए था। लेकिन व्यवस्था में खोट के चलते नियमों को ताक पर रख कर अब कितना निर्माण हुआ उसकी तस्वीर हम देख सकते हैं।
175 साल पुरानी ढली टनल की तस्वीर
अंग्रेजों ने पुरानी टनल का निर्माण कार्य 18वीं शताब्दी में आरंभ किया था। 1852 में बनी सुरंग की लंबाई 560 फीट है। बताया जाता है कि अंग्रेजों ने जब गोरखा हमलावरों को भगाया था और शिमला में अपने पैर जमाए थे, तो उन्होंने सबसे पहले संजौली-ढली टनल का निर्माण किया था। ढली सुरंग 175 साल से अधिक पुरानी है और इसकी डिजाइन की अवधि समाप्त हो चुकी है। जब ये टनल बनाई गई थी उस वक़्त घोड़ागाड़ी ही इसमें जा सकती थी बाद में इसको चौड़ा किया गया था।
हालांकि स्मार्ट सिटी मिशन के तहत सुरंग के समानांतर करीब 147 मीटर लंबी अन्य टनल भी बनाई जा रही है। जिसके दोनों सिरे भी आपस में मिल चुके हैं। क्योंकि जिस तरह से शिमला में जल प्रहार देखने को मिला है, जगह-जगह लैंड स्लाइड हुए, घर गिर, गए धँस गए, यहाँ तक की टनल भी इससे बच नही पाई है। इसके ऊपर भी लैंड स्लाइड हुआ है। ऐसे में सवाल ये उठ रहे है की ये सुरंगें क्या सुरक्षित हैं?