Himachal Pradesh: हिमाचल में मानसून सीजन में खाली रह गए बांध, पड़ोसी राज्यों की खेती और बिजली परियोजनाओं पर दिखेगा असर

Himachal Pradesh: इस बार मानसून सीजन में भी हिमाचल प्रदेश की नदियों पर बने बांधों के जलाशय पूरे नहीं भर पाए हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, इस वजह से आने वाले दिनों में राजस्थान, पंजाब और हरियाणा में खेती प्रभावित हो सकती है।

By  Md Saif October 16th 2024 11:59 AM -- Updated: October 16th 2024 03:53 PM

ब्यूरो: Himachal Pradesh: इस बार मानसून सीजन में भी हिमाचल प्रदेश की नदियों पर बने बांधों के जलाशय पूरे नहीं भर पाए हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, इस वजह से आने वाले दिनों में राजस्थान, पंजाब और हरियाणा में खेती प्रभावित हो सकती है। मुख्य रूप से भाखड़ा और पौंग बांध को पड़ोसी राज्य के लिए जीवनरेखा माना जाता है, ऐसा इसलिए भी है क्योंकि इन राज्यों में खेती हिमाचल की नदियों के पानी पर बहुत ज्यादा निर्भर रहती है। यह पानी नहरों के माध्यम से पड़ोसी राज्यों के किसानों के खेतों तक जाता है। यदि बांध में पानी नहीं होगा तो किसान अपने खेतों को पर्याप्त पानी नहीं दे पाएंगे। इसका असर बिजली उत्पादन पर भी दिख सकता है। इस बार मानसून के दौरान भी भाखड़ा बांध जलाशय 11 मीटर और पौंग बांध जलाशय 8 मीटर खाली रहा।


पहले मानसून में पूरी तरह भर जाते थे बांध

बरसात के मौसम में हिमाचल की विभिन्न नदियों पर बने बांधों के जलाशय पूरी तरह भर जाते थे। लेकिन इस बार बांध का अधिकांश हिस्सा 10 से लेकर 120 फीट तक खाली है। 


क्यों खाली रह गए जलाशय?  

इस बार मानसूनी बारिश सामान्य से 18 फीसदी कम रही। मानसून के बाद भी राज्य में बारिश नहीं हो रही है। 1 से 15 अक्टूबर तक राज्य में सामान्य से 95 फीसदी कम बारिश हुई। अगले 5-6 दिनों में बारिश की कोई संभावना नहीं है।


भाखड़ा बांध पर जलाशय 36 फीट खाली  

भारत की सबसे बड़ी बहुउद्देश्यीय जलविद्युत परियोजना, भाखड़ा बांध का जलाशय 11 मीटर या 36 फीट से अधिक तक खाली है। पार्वती-2 परियोजना जलाशय लगभग 118 फीट, मलाणा जलाशय 145 फीट और पौंग बांध जलाशय भी लगभग 26 फीट खाली है। मानसून कम होने के बाद जलाशय में पानी का स्तर धीरे-धीरे हर दिन कम होता जाता है। इससे उत्तर भारत में जल संकट गहरा सकता है, जैसे-जैसे प्रदेश में सर्दी बढ़ती जा रही है। इससे ग्लेशियरों का पिघलना भी रुक जाता है।


आपको जानकारी दे दें कि सर्दियों में ग्लेशियर जमने के कारण नदियों में जलस्तर गिर जाता है। इस वजह से हिमाचल में विद्युत उत्पादन 15 से 20 फीसदी रह जाता है।

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