हिमाचल की एक ऐसी झील जहां छिपा है अरबों का खजाना ...
हिमाचल प्रदेश में अनेक देवी-देवता बसते हैं और हर देवी-देवता की अपनी कहानी है। ऐसे में जिला मंडी के कमरूनाग मंदिर में भी कई रहस्य छिपे हुए हैं।
ब्यूरो: पहाड़ी प्रदेश हिमाचल में कई रहस्यमई मंदिर हैं । जिनमें कमरूनाग मंदिर व झील भी एक है। जो जिला मंडी में स्थित है। कमरुनाग झील 3,334 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। धौलाधर रेंज और बलह घाटी की सुंदरता को जोड़ता देव कामरुनाग का मंदिर व झील गगन चुंबी देवदार के जंगलों से घिरा हुआ है। इस झील में अरबों का खजाना छिपा हुआ है। अपनी मनोकामना को पूर्ण करने के लिए श्रद्धालु देव कामरुनाग की इस झील में सदियों से सोने, चांदी और सिक्के की चढ़ाते हैं।
झील के तल पर सोने, चांदी और अथाह धन का आजतक कोई पता नहीं लगा पाया। प्रकृति प्रेमियों के लिए, कामरुनाग की यात्रा स्वर्ग की यात्रा है। रोहांडा से कामरुनाग तक 6 किलोमीटर की तेज पहाड़ी पथ पर पैदल यात्रा को पूरा करने में 3 से 4 घंटे लगते हैं। सर्दियों के मौसम में झील बर्फ का गोला बन जाती है। माना जाता है कि इस झील में अरबों-खरबों का खजाना पानी की गहराइयों तक है।
कमरूनाग देवता का उल्लेख महाभारत में भी मिलता है। इसलिए बाबा कमरूनाग जी को बबरूभान जी के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक साक्ष्यों के अनुसार कमरूनाग धरती के सबसे बलशाली योद्धा थे। लेकिन भगवान कृष्ण के आगे इन्हे झुकना पड़ा।
कहा जाता है कि कमरूनाग जी के कटे सर में भी अपार ताकत थी। भगवान कृष्ण ने इनका सर हिमालय की एक ऊंची चोटी पर रखवा दिया था। लेकिन सर जिस तरफ घूमता वह सेना जीत की ओर बढ़ती। पौराणिक मान्यता के अनुसार कृष्ण ने कटा सर पत्थर से बांध कर पांडवों की ओर मोड़ दिया था।