दुनिया की सबसे महंगी सब्ज़ी के लिए पहाड़ों की ख़ाक छान रहे हैं लोग
गुच्छी की तलाश में पहाड़ के लोग जंगलों की ख़ाक छानते हैं। हिमाचल में 'गुच्छी' सैंकड़ो लोगों की कमाई का साधन है। कुल्लू, शिमला के उपरी इलाकों, सोलन, सिरमौर में कई लोग इसे बेचकर लाखों रुपया कमाते हैं। उत्तराखंड के जगलों में भी गुच्छी पाई जाती है। आपको बता दें कि गुच्छी प्राकृतिक रूप से उगती है।
ब्यूरो : दुनिया की सबसे महंगी सब्ज़ी गुच्छी की तलाश में पहाड़ के लोग जंगलों की ख़ाक छानते हैं। हिमाचल में 'गुच्छी' सैंकड़ो लोगों की कमाई का साधन है। कुल्लू, शिमला के उपरी इलाकों, सोलन, सिरमौर में कई लोग इसे बेचकर लाखों रुपया कमाते हैं। उत्तराखंड के जगलों में भी गुच्छी पाई जाती है। गुच्छी प्राकृतिक रूप से उगती है। आज तक वैज्ञानिक गुच्छी को खेती के रूप में करने विकसित करने में सफलता हासिल नही कर सके हैं। गुच्छी का आज तक न बीज तैयार हो पाया और न ही उगाने की कोई और अन्य विधि ईज़ाद हो सकी है। ये लाल, भूरे और काले रंग की होती है।
गुच्छी को डॉक्टर संजीवनी के समान मानते है।गुच्छी में कार्बोहाईड्रेट की मात्रा शून्य होती है। यह हृदय रोग, नियूरेपिक, मोटापा और सर्दी-जुखाम जैसी बीमारियों से लड़ने में रामबाण साबित होती है। इसका इस्तेमाल कई घातक बीमारियों को ठीक करने वाली दवाइयों के निर्माण में भी होता है। यही वजह है कि इसकी कीमत बाजार में 30 हजार रुपए प्रति किलो तक है। फरवरी से लेकर अप्रैल माह में मौसम पर आसमानी बिजली कड़कने से जंगल में गुच्छियां अपने आप उग जाती है। कुछ ही दिनों में ये सूख जाती है। जंगली पक्षियों का भी गुच्छी अहम भोजन है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी भी गुच्छी के मुरीद रहे हैं। वाजपेयी जब भी हिमाचल आते थे तो इसकी सब्जी खाते थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसकी ओषधीय गुणों के कारण गुच्छी के चाहवान है। यूरोपियन देश फ्रांस, इंग्लैंड, स्विट्जरलैंड, जर्मनी, कनाडा, अमेरिका और अन्य देशों में हिमाचल से भारी मात्रा में गुच्छी की सप्लाई की जाती है। लोग आजकल 'गुच्छी' की तलाश में जंगलो में डेरा जमाए हुए है।