Punjab Drugs Racket: ड्रग्स रैकेट पर नकेल कसने के लिए HC ने पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ को ये आदेश किए जारी
पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने अब पंजाब के ड्रग्स रैकेट पर नकेल कसने के लिए न सिर्फ पंजाब बल्कि हरियाणा और चंडीगढ़ को भी 25 निर्देश दिए हैं।
ब्यूरो : पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने अब पंजाब के ड्रग्स रैकेट पर नकेल कसने के लिए न सिर्फ पंजाब बल्कि हरियाणा और चंडीगढ़ को भी 25 निर्देश दिए हैं। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यह बात सामने आई है कि पंजाब में 20 महीनों में मादक पदार्थों की तस्करी के मामले में 25 हजार 579 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। 21 हजार 430 मामले दर्ज किए गए हैं। 63,000 नशीली दवाओं के आदी लोगों का इलाज आउट पेशेंट ओपियोइड असिस्टेड ट्रीटमेंट (ओओएटी) क्लीनिकों में चल रहा है, जबकि 3 लाख से अधिक लोगों का सरकारी और निजी पुनर्वास केंद्रों में इलाज चल रहा है।
उच्च न्यायालय ने आगे कहा कि ये आंकड़े चिंताजनक हैं, इसलिए पुलिस को इसके सरगनाओं को पकड़ना चाहिए और उन पर न केवल एनडीपीएस अधिनियम के तहत बल्कि मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम के तहत भी आरोप लगाना चाहिए। न्यूनतम 10 साल से 20 साल की कैद और 1 लाख रुपये का जुर्माना होना चाहिए। लगाया जाए।
हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि पंजाब में हजारों करोड़ रुपये के नशे के कारोबार में तस्करों और पुलिस अधिकारियों की मिलीभगत की जांच करना बहुत जरूरी है। जांच एजेंसियों को इसकी जांच पर पूरा जोर लगाना चाहिए। पंजाब सरकार द्वारा मादक पदार्थों की तस्करी के खिलाफ गठित की गई एसटीएफ को और अधिक सुधार, आधुनिकीकरण और मजबूत किया जाना चाहिए। अपने क्षेत्र की पूरी निगरानी के लिए विशेष मोबाइल एंटी-पैडलिंग स्क्वॉड का गठन किया जाना चाहिए।
शिक्षण संस्थानों को आदेश
हाईकोर्ट ने कहा कि बच्चों को नशे के दुष्प्रभावों से अवगत कराने के लिए इस विषय को 10 1 और 10 2 के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए।
छात्रों को नशे की दलदल में फंसाने वाले नशा तस्करों को पकड़ने के लिए सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक सभी स्कूलों, कॉलेजों और शैक्षणिक संस्थानों के बाहर वर्दी में पुलिसकर्मी तैनात रहेंगे। सभी स्कूलों, कॉलेजों और शैक्षणिक संस्थानों में नशा विरोधी क्लब बनाए जाएं।
स्थानीय अभिसूचना इकाई को ऐसी सभी दुकानों, ढाबों, टिक्की की दुकानों, चाय की दुकानों आदि पर नजर रखनी चाहिए, जहां से मादक पदार्थों के तस्कर कारोबार करते हैं और उन्हें गिरफ्तार करना चाहिए।
पुलिस अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि किसी भी मेडिकल दुकान, बार, रेस्टोरेंट में नाबालिगों को दवाइयां, नशीली दवाएं और नशीला पदार्थ न दिया जाए । यदि कोई विक्रेता ऐसा करता पाया जाए तो उसे नोटिस देकर तत्काल उसका लाइसेंस निरस्त किया जाए।
नाबालिगों को शराब की आपूर्ति/बिक्री करने वाले बार/विक्रेताओं द्वारा जारी किए गए लाइसेंस रद्द किए जाने चाहिए।
जो क्षेत्र अधिक संवेदनशील हैं, वहां सभी स्कूलों, कॉलेजों और शैक्षणिक संस्थानों में निगरानी बढ़ाई जानी चाहिए और यहां नशे के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई जानी चाहिए।
सभी शिक्षण संस्थानों में वरिष्ठतम शिक्षकों को नोडल अधिकारी बनाया जाए तथा प्रत्येक शुक्रवार को बच्चों को नशे के दुष्परिणामों के बारे में जागरूक किया जाए। यदि कोई बच्चा नशे के दलदल में फंसा मिले तो तुरंत उसके माता-पिता को सूचित करना चाहिए और माता-पिता को भी जागरूक करना चाहिए।