Haryana: भाजपा ने निकाय चुनाव के लिए बनाई बड़ी योजना, नए चेहरों को मौका, कांग्रेस की मदद करने वाले पार्षदों के टिकट काटने की तैयारी

हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने के बाद अब निगम चुनाव को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं। भारतीय जनता पार्टी की तरफ से इन चुनाव को लेकर मेगा प्लान बनाने पर काम शुरू हो चुका है। निगम चुनाव में भी जीत हासिल करने के लिए बीजेपी विधानसभा चुनाव की तरह ही नए चेहरों पर दांव लगा सकती है।

By  Md Saif October 22nd 2024 11:56 AM

ब्यूरोः हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने के बाद अब निगम चुनाव को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं। भारतीय जनता पार्टी की तरफ से इन चुनाव को लेकर मेगा प्लान बनाने पर काम शुरू हो चुका है। निगम चुनाव में भी जीत हासिल करने के लिए बीजेपी विधानसभा चुनाव की तरह ही नए चेहरों पर दांव लगा सकती है।


इन चुनाव में उन पार्षदों का टिकट काटा जाएगा, जिन्होंने विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की मदद की थी। इसके लिए बकायदा पूरी लिस्ट तैयार की जा रही है। सूत्रों के मुताबिक इसे लेकर केंद्रीय नेतृत्व की तरफ से मंजूरी मिल चुकी है। निगम चुनाव की आहट तेज होने पर राज्य चुनाव आयोग भी अलर्ट हो गया है। राज्य चुनाव आयोग की तरफ से सरकार को पत्र लिखा गया है।


हरियाणा में कितने नगर निकाय

नगर निगम- 11

नगर पालिकाएं- 55

नगर परिषद- 23

फरीदाबाद सबसे बड़ा और पंचकूला सबसे छोटा निगम है।


क्यों बन रहे हैं जल्द चुनाव के आसार

राज्य चुनाव आयुक्त की तरफ से मई 2024 में इस बारे में हरियाणा सरकार के सचिव को पत्र लिखे जाने के बावजूद सरकार के स्तर पर इस बारे में अब तक कोई फैसला नहीं लिया गया है। यह भी चर्चा है कि विधानसभा चुनाव के परिणाम को देखते हुए सरकार सूबे में जल्द ही निकाय चुनाव करवाने का मन बना रही है। 

विधानसभा चुनाव में अंबाला से मेयर शक्ति रानी और सोनीपत से मेयर निखिल मदान भाजपा की टिकट से चुनाव जीत चुके हैं। इनके समेत 10 नगर निगमों के चुनाव बाकी हैं। सिर्फ पंचकूला नगर निगम ही है, जहां अभी मेयर है। यहां कार्यकाल जनवरी 2026 तक बाकी है। यमुनानगर, करनाल, पानीपत, रोहतक, हिसार, गुरुग्राम, फरीदाबाद में भी कार्यकाल पूरा हो चुका है। मानेसर नगर निगम गठित होने के बाद वहां अभी तक चुनाव ही नहीं हुए हैं। 11 में से अब 10 नगर निगमों में चुनाव लंबित हो गए हैं। अभी वहां की व्यवस्था प्रशासनिक अधिकारी संभाल रहे हैं। कई निगमों के चुनाव तो दो-दो साल से लंबित हैं।


आपको बता दें कि किसी भी इकाई का कार्यकाल खत्म होने के बाद 6 महीने के अंदर उसका गठन करवाना होता है। इस बारे में राज्य चुनाव आयुक्त धनपत सिंह की तरफ से कहा गया कि हमने वोटर लिस्ट के लिए निर्वाचन अधिकारी को पत्र लिखा है। इसके अलावा वार्डबंदी का काम चल रहा है। लोकसभा व विधानसभा चुनाव की वजह से प्रशासनिक अमला वहां लगा हुआ था।


सरकार ने इसलिए शुरू की चुनाव की तैयारियां

विधानसभा चुनाव में जीत का मिल सकता है फायदा

हरियाणा विधानसभा चुनाव में मिली जीत का फायदा भाजपा को इन चुनावों में होगा। भाजपा ने इस बार अपने दम पर रिकॉर्ड बहुमत हासिल किया है। अगर निकाय चुनाव होते हैं तो उसमें पार्टी को जीत मिलती है तो उसमें विधानसभा चुनाव की जीत की बड़ी भूमिका रहेगी।


शहरी सीटों पर है भाजपा की अच्छी पकड़

हरियाणा के शहरी इलाकों में बीजेपी कांग्रेस से ज्यादा मजबूत है। हालांकि लोकसभा चुनाव में भाजपा पांच सीटें हार गई थी, लेकिन उसने कांग्रेस की तुलना में अधिक शहरी सीटें जीतीं। विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने शहरी सीटों पर भी अच्छा प्रदर्शन किया। दोनों चुनावों के आंकड़ों को देखें तो बीजेपी इसे निकाय चुनाव में फायदे के तौर पर देख रही है।


चेहरे बदलने पर विधानसभा चुनाव में दिखा था फायदा

भाजपा ने हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले कई सीटों पर चेहरे बदले थे। इनमें से अधिकतर प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की थी। इससे पता चलता है कि भाजपा का प्रत्याशी बदलने का फॉर्मूला काम कर गया। इस फॉर्मूले को देखते हुए अब बीजेपी निगम चुनाव में भी इस पर फोकस करेगी। इससे पार्टी के दो उद्देश्य पूरे होंगे। एक तो बागियों का पत्ता साफ होगा और जिताऊ व नए चेहरे को मौका मिलेगा।

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