हरियाणा की VIP सीट: भूपेंद्र सिंह हुड्डा का 'किला' है किलोई सीट, जानें हुड्डा की सीट का पूरा समीकरण

हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 10 साल बाद सत्ता में वापसी की हुंकार भर रही है तो वहीं भाजपा भी चुनाव में पूरी तरह आश्वस्त है। भले ही दोनों दलों में अंदरूनी खींचतान हो, लेकिन दोनों पार्टियों के नेता पूरी जोर-आजमाईश में लगे हुए हैं। हरियाणा में भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सीट गढ़ी सांपला किलोई पर हुड्डा को रोकना।

By  Md Saif October 5th 2024 05:48 PM

ब्यूरो:  हरियाणा की सभी 90 विधानसभा सीटों पर मतदान जारी है। एक हजार से ज्यादा उम्मीदवारों की किस्मत दांव पर है। हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 10 साल बाद सत्ता में वापसी की हुंकार भर रही है तो वहीं भाजपा भी चुनाव में पूरी तरह आश्वस्त है। भले ही दोनों दलों में अंदरूनी खींचतान हो, लेकिन दोनों पार्टियों के नेता पूरी जोर-आजमाईश में लगे हुए हैं। हरियाणा में भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सीट गढ़ी सांपला किलोई पर हुड्डा को रोकना। साल 2014 में जब भाजपा प्रचंड बहुमत के साथ राज्य की सत्ता पर काबिज हुई तब भी हुड्डा अपनी सीट से जीत दर्ज कर दीवार की तरह खड़े रहे। साल 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा को हराने के लिए पूरी रणनीति बनाई थी। लेकिन तब भी भाजपा यह सीट नहीं निकाल पाई थी। इस बार फिर बीजेपी हुड्डा की सीट को भेदने की पूरी तैयारी में है। 


हुड्डा की गढ़ी सांपला-किलोई सीट

  • रोहतक जिले में मौजूद यह सीट एक सामान्य सीट है।
  • गढ़ी सांपला-किलोई में ग्रामीण मतदाताओं की संख्या 145, 749 है।
  • गढ़ी सांपला-किलोई में शहरी मतदाताओं की संख्या 59, 502 है।

इस बार हरियाणा में सबसे हॉट सीट गढ़ी सांपला-किलोई है। साल 2014 के बाद से ही कांग्रेस पार्टी विपक्ष से सत्ता में लौटने की पुर्जोर कोशिश में है। इसी कोशिश में हुड्डा और उनकी सीट की भूमिका काफी अहम है। 


भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर एक नजर

साल 2000 में पहली बार भूपेंद्र सिंह हुड्डा इस विधानसभा सीट पर चुनाव लड़े और जीत दर्ज की।

साल 2009 से भूपेंद्र हुड्डा लगातार जीत रहे हैं।

साल 2009 में कांग्रेस का वोट शेयर 19.81 प्रतिशत रहा जबकि भाजपा का 0, इनेलो का 15.78 प्रतिशत।

साल 2014 में कांग्रेस का 57.31 प्रतिशत, भाजपा का 15.7, इनेलो को 23.8 प्रतिशत वोट शेयर रहा।

साल 2019 में कांग्रेस का वोट शेयर प्रतिशत फिर बढ़कर 65.8 प्रतिशत, भाजपा का 26.6 प्रतिशत रहा।

भूपेंद्र हुड्डा के पिता रणबीर सिंह हुड्डा भारत की संविधान सभा के सदस्य रहे हैं।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा साल 1991, 1996, 1998, 2004 में रोहतक लोकसभा क्षेत्र से सांसद रहे।

साल 1991, 1996, 1998 के लगातार तीन लोकसभा चुनावों में उन्होंने चौधरी देवीलाल को हराया था।

साल 2004 से उनके बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा रोहतक के सांसद हैं।


गढ़ी सांपला-किलोई सीट पर क्या है समीकरण

जाट बहुल गढ़ी सांपला-किलोई विधानसभा क्षेत्र में 50 प्रतिशत जाट वोटर्स हैं। सवा दो लाख मतदाताओं में से 50 प्रतिशत जाट वोटर्स हैं। एससी समुदाय के लगभग 40 हजार वोटर्स, साथ ही ब्राह्मण और ओबीसी के 50 हजार वोटर्स भी निर्णायक भूमिका में रहते हैं।


पिछले चुनाव के नतीजे?

साल 2009 के परिसीमन के बाद सांपला किलोई विधानसभा सीट बनीं। तब से लेकर अब तक इस सीट पर 3 चुनाव हुए हैं और ये इस सीट का चौथा विधानसभा चुनाव है। तीनों ही चुनाव में भूपेंद्र सिहं हुड्डा ने जीत दर्ज की है। 2019 के चुनाव में भूपेंद्र सिंह हुड्डा को 97,755 वोट मिले थे। बीजेपी के सतीश नांदल 39,443 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर थे। 


हरियाणा के गठन के बाद किसे मिली जीत

परिसीमन से पहले, यह किलोई विधानसभा सीट थी। 1967 में, स्वतंत्र उम्मीदवार महंत श्रोयो नाथ ने यहां अपना पहला चुनाव जीता। 1968 में चौधरी रणबीर हुडा ने कांग्रेस को जीत दिलाई। 1972 में महंत श्रोयो नाथ जीते। 1977 और 1982 के चुनाव में हरिचंद हुडा ने जनता पार्टी के उम्मीदवार के रुप में चुनाव जीता। 1987 में लोकदल के से श्रीकृष्ण हुड्डा जीते। 1991 में कृष्णमूर्ति हुड्‌डा कांग्रेस से चुने गए। 1996 में समता पार्टी के कृष्णा हुडा चुनाव जीते। 2000 में अगले चुनाव में कांग्रेस ने भूपेन्द्र सिंह हुड्डा को मैदान में उतारा और उन्होंने यहां से अपना पहला चुनाव जीता। 2004 में कृष्णा हुडा ने कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल की। 2005 के उपचुनाव में कांग्रेस ने फिर से भूपेन्द्र सिंह हुड्डा को मौका दिया। उस चुनाव में भूपेन्द्र सिंह हुडडा ने जीत हासिल की थी। इसके बाद भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने 2009, 2014 और 2019 का चुनाव जीता।

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