हिमाचल प्रदेश में इस साल स्क्रब टायफस से पहली मौत, IGMC में भर्ती थी 62 वर्षीय महिला
हिमाचल प्रदेश में अब आपदा के बीच स्क्रब टायफस डराने लगा है। हिमाचल प्रदेश में इस साल स्क्रब टायफस से पहली मौत हुई है।
ब्यूरो : हिमाचल प्रदेश में अब आपदा के बीच स्क्रब टायफस डराने लगा है। हिमाचल प्रदेश में इस साल स्क्रब टायफस से पहली मौत हुई है। सोलन की 62 वर्षीय महिला की हुई मौत हो गई है। इस साल स्क्रब के अभी तक 444 मरीजों के टैस्ट किए गए हैं। जिसमें से 63 मामले पॉजिटिव आए हैं।
आपको बता दें कि स्क्रब टायफस होने पर मरीज को तेज बुखार जिसमें 104 से 105 तक जा सकता है। जोड़ों में दर्द और कंपकपी, ठंड के साथ बुखार, शरीर में ऐंठन ,अकड़न या शरीर का टूटा हुआ महसूस होना, अधिक संक्रमण में गर्दन, बाजू व कूल्हों के नीचे गिल्टियां का होना आदि इसके लक्षण है। इससे बचने के लिए सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। घर के आसपास कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करें।
इस दौरान मरीजों को डॉक्सीसाइक्लन और एजिथ्रोमाईसिन दवा दी जाती है। स्क्रब टायफस शुरूआत में आम बुखार की तरह होता है। लेकिन यह सीधे किडनी और लीवर पर अटैक करता है। परिणाम स्वरूप मरीजों की मौत हो जाती है। जब भी खेतों या घास वाली जगह में जाएं शरीर को पूरी तरह ढ़क कर रखें।
गौरतलब है कि स्क्रब टाइफस की बीमारी एक विशेष कीड़े के डंक से होती है। थ्रोम्बोसाइटोपेनिक माइट्स नामक यह कीड़ा जब शरीर में प्रवेश करता है तो उससे शरीर में स्क्रब टाइफस के बैक्टीरिया पनपने लगते हैं। जब स्क्रब टाइफस की बीमारी के लक्षण दिखायी दें तो साधारण पेनकिलर या पैरासिटामोल जैसी दवाइयां लेने की बजाय तुरंत अपने डॉक्टर से सम्पर्क करें। स्क्रब टाइफस के लक्षणों की समय पर पहचान करने और इसका समय पर इलाज करने से इस बीमारी को गंभीर होने से बचाया जा सकता है। स्क्रब टाइफस की बीमारी बढ़ जाने के कारण मल्टी ऑर्गन फेल्योर का खतरा भी बढ़ सकता है जो एक घातक बीमारी है। जिसको लेकर अब स्वास्थ्य विभाग भी अब अलर्ट पर है।