26 नवंबर से सरकार के खिलाफ फिर से मोर्चा खोलेंगे किसान, BKE ने सिरसा में किया ऐलान !

औलख ने बताया कि बीकेई टीम काफिले के साथ 26 नवंबर को रोड़ी क्षेत्र के गांव झोरडरोही से सुबह 9 बजे खनौरी मोर्चे के लिए कूच करेगी। कल (22 नवंबर) संयुक्त किसान मोर्चा गैर राजनीतिक (भारत) की दिल्ली में मीटिंग हुई, जिसमें पूरे देश से किसान नेता पहुंचे. मीटिंग में तय हुआ कि हरियाणा, पंजाब, राजस्थान हिमाचल व यूपी से बड़ी संख्या में किसान व मजदूर खनौरी मोर्चे पर पहुंचेंगे

By  Baishali November 23rd 2024 04:53 PM

सिरसा: भारतीय किसान एकता ( BKE) ने ऐलान किया है कि 26 नवंबर से सरकार के खिलाफ किसानों का मोर्चा एक बार फिर से शुरू होगा. बीकेई की सिरसा में आज (23 नवंबर) लखविंदर सिंह औलख की अध्यक्षता में एक अहम बैठक हुई जिसमें पंजाब के बठिंडा में आप सरकार द्वारा किसानों पर हुए लाठीचार्ज की कड़े शब्दों में निंदा की गई. 

 

मीडिया से बात करते हुए भारतीय किसान एकता के प्रदेशाध्यक्ष लखविंदर सिंह औलख ने बताया कि 13 फरवरी से चल रहा किसान आंदोलन पार्ट-2 आज 286वें दिन में पहुंच चुका है. सरकार ने 18 फरवरी के बाद से किसानों के साथ कोई बात नहीं की है. भारत सरकार द्वारा मानी हुई मांगों में किए हुए वादों को पूरा करवाने के लिए किसान शंभू, खनौरी व रतनपुरा बॉर्डर पर धरनारत हैं। ऐसे में एसकेएम गैर-राजनीतिक व केएमएम द्वारा बड़ा फैसला लेते हुए ऐलान किया गया है कि संगठन के सीनियर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल 26 नवंबर से आमरण-अनशन पर बैठेंगे. 

 

औलख ने बताया कि बीकेई टीम काफिले के साथ 26 नवंबर को रोड़ी क्षेत्र के गांव झोरडरोही से सुबह 9 बजे खनौरी मोर्चे के लिए कूच करेगी। कल (22 नवंबर) संयुक्त किसान मोर्चा गैर राजनीतिक (भारत) की दिल्ली में मीटिंग हुई, जिसमें पूरे देश से किसान नेता पहुंचे. मीटिंग में तय हुआ कि हरियाणा, पंजाब, राजस्थान हिमाचल व यूपी से बड़ी संख्या में किसान व मजदूर खनौरी मोर्चे पर पहुंचेंगे। दक्षिण भारत के कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना सहित कई राज्यों में आमरण-अनशन के समर्थन में 26 नवंबर से ही जिला मुख्यालयों पर शांतिपूर्ण धरने प्रदर्शन किए जाएंगे.

 

 औलख ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकार की हठधर्मिता के चलते जगजीत सिंह डल्लेवाल अपने प्राण त्याग देते हैं तो उनका पार्थिव शरीर खनोरी बॉर्डर पर ही रखा जाएगा, उसके बाद दूसरे किसान नेता सुखजीत सिंह हरदोझंडे आमरण-अनशन पर बैठेंगे। यह कड़ी ऐसे ही चलती रहेगी, जब तक सरकार मांगे लागू नहीं करती है.    

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