Ashok Tanwar: 5 साल में 5 पार्टी, कांग्रेस में वापसी पर सोशल मीडिया पर हुए ट्रोल, जानें NSUI से लेकर हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष तक का सफर

अशोक तंवर गुरुवार, 3 अक्टूबर को एक रैली में राहुल गांधी की मौजूदगी में कांग्रेस में शामिल हुए थे। तंवर एक चुनावी रैली में राहुल गांधी की मौजूदगी में कांग्रेस में शामिल हुए थे, इसके बाद आज अशोक तंवर आधिकारिक तौर पर कांग्रेस के सदस्य बन गए।

By  Md Saif October 4th 2024 06:49 PM

ब्यूरोः अचानक बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए अशोक तंवर की तरफ से आज पहला बयान सामने आया। उन्होंने कहा, "बीजेपी जाति और धर्म के नाम पर लोगों को एक-दूसरे के खिलाफ भड़का रही है।" अशोक तंवर ने कहा कि आज हरियाणा में जाति का सहारा लिया जा रहा है। भाजपा की नीति है जहां धर्म चले वहां धर्म चलाओ और जहां धर्म न चले वहां जाति चलाओ, यही सब देखकर मैने कांग्रेस में वापसी की है।


अशोक तंवर गुरुवार, 3 अक्टूबर को एक रैली में राहुल गांधी की मौजूदगी में कांग्रेस में शामिल हुए थे। तंवर एक चुनावी रैली में राहुल गांधी की मौजूदगी में कांग्रेस में शामिल हुए थे, इसके बाद आज अशोक तंवर आधिकारिक तौर पर कांग्रेस के सदस्य बन गए। फिर दिल्ली में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में  तंवर ने कहा, ''पिछले कुछ सालों में राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी ने भारत जोड़ो यात्रा के साथ कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए हैं।" अशोक तंवर ने प्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा ने देश को दिशा दी और लोगों के अंदर पार्टी को लेकर विश्वास पैदा किया है।


अशोक तंवर 5 सालों से कांग्रेस से दूर हैं

अचानक बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने पर अशोक तंवर को सोशल मीडिया पर ट्रोल किया जा रहा है। अशोक तंवर ने 5 अक्टूबर, 2019 को कांग्रेस पार्टी छोड़ दी थी। इन 5 सालों में तंवर आम आदमी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस और भाजपा में रहे थे। उन्होंने जेजेपी के लिए भी प्रचार किया था। अब उनकी कांग्रेस में वापसी पर ट्रोलिंग शुरु हो गई है।


विभिन्न राजनीतिक दलों के समर्थन में अशोक तंवर के बयान

जेजेपी के समर्थन का बयान- 'नहीं, नहीं, यह सत्ता में आने के बारे में नहीं है, यह हमारी सरकार बनाने के बारे में है। अब जेजेपी ही सरकार बनाएगी

AAP का बयान - भारत मां का बेटा केजरीवाल, केजरीवाल करेगा कमाल!

टीएमसी के समर्थन में बयान- अरे भाई ये तो खुली चुनौती है, इस तृणमूल को रोक कर दिखाए कोई। अब हमारे पास एक शेरनी है।

कांग्रेस के समर्थन में बयान- व्यवसायी और कर्मचारी आज पीड़ित हैं। अगर आज कोई है जो हमें इससे मुक्ति दिला सकता है तो वह कांग्रेस के नेता हैं। वो सोनिया गांधी हैं, वो राहुल गांधी हैं।

भाजपा के समर्थन में बयान- हम सभी जानते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पिछले 10 वर्षों में देश बदल गया है।


NSUI के अध्यक्ष से लेकर हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष तक का सफर


साल 2003 में NSUI के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनें, फिर यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष बनें

साल 2009 में सिरसा संसदीय सीट से लोकसभा सांसद चुने गए

साल 2014 में सिरसा सीट से इनेलो के प्रत्याशी से चुनाव हार गए

14 फरवरी 2014 से सितंबर 2019 तक हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष रहे


अशोक तंवर कब किस पार्टी में थे?

2019 में कांग्रेस छोड़ दी

अशोक तंवर ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत कांग्रेस की छात्र शाखा एनएसयूआई से की थी। दिल्ली में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में पढ़ाई के दौरान वह एनएसयूआई में शामिल हुए। इसके बाद वह साल 1999 में जेएनयू के सचिव और 2003 में एनएसयूआई के अध्यक्ष बने।

छात्र राजनीति के बाद उन्होंने 2009 में कांग्रेस के टिकट पर सिरसा से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत कर संसद पहुंचे। लेकिन साल 2014 में तंवर इनेलो प्रत्याशी से चुनाव हार गए। इसके बाद उन्होंने 5 अक्टूबर, 2019 को कांग्रेस छोड़ दी।


टीएमसी और आम आदमी पार्टी में रहे

कुछ समय के लिए कांग्रेस छोड़ने के बाद अशोक तंवर 2021 में टीएमसी में शामिल हो गए। इस बीच, तंवर ने टीएमसी के लिए प्रचार किया और बंगाल की सीएम ममता बनर्जी को शेरनी कहा। तंवर ने 2022 में टीएमसी से छोड़ते हुए आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए। पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने आम आदमी पार्टी के लिए चुनाव लड़ा, लेकिन 2024 में तंवर ने भी आप छोड़ दी।


टिकट न मिलने पर भाजपा भी छोड़ी

आम आदमी पार्टी छोड़ने के बाद तंवर दिल्ली आ गए  और भाजपा के सदस्य बन गये। तंवर लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी में शामिल हुए थे, इसलिए बीजेपी ने उन्हें सिरसा से अपना उम्मीदवार बनाया था। लेकिन, कांग्रेस उम्मीदवार कुमारी सैलजा ने उन्हें चुनाव में हरा दिया था। लोकसभा चुनाव हारने के बाद तंवर ने विधानसभा टिकट पाने की भी कोशिश की, लेकिन बीजेपी ने उन्हें टिकट नहीं दिया। इस तरह 3 अक्टूबर 2024 को तंवर की कांग्रेस में वापसी हो गई। एक समय में तंवर कांग्रेस में राहुल गांधी के काफी करीबी माने जाते थे। दलित समुदाय के नेता तंवर की कांग्रेस में वापसी से पार्टी को मजबूती मिल सकती है।


चुनाव से 36 घंटे पहले अशोक तंवर को क्यों लाई कांग्रेस?

1. कुमारी सैलजा लगातार हुडा खेमें की तरफ से की जा रही अनदेखी से नाराज थी। राहुल गांधी ने मंच पर  हुड्डा और सैलजा का हाथ मिलाया, लेकिन शायद बात नहीं बनी। अगले ही दिन उन्होंने बयान दिया कि भूपेन्द्र हुड्डा के साथ उनकी बातचीत बंद है।

कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि राहुल गांधी को यह पसंद नहीं आया। इस बयान के बाद ही वह हुड्डा से तंवर को पार्टी में शामिल करने और सैलजा को किनारे करने की बात करने लगे थे। जिसमें अजय माकन कड़ी बने और इसके बाद तंवर कांग्रेस में शामिल हो गए।


2. तंवर और हुड्डा के रिश्ते पहले ही खराब हो चुके हैं। फिर भी, यह जानते हुए भी कि सैलजा की नाराजगी कांग्रेस पर भारी पड़ेगी, हुड्डा तंवर को आगे लाने पर सहमत हो गए। दलित मतदाता कांग्रेस से दूर जा रहे हैं। ऐसे में अपनी दलित विरोधी छवि को कम करने के लिए हुड्डा तंवर को लाने पर राजी हो गए।


3 हालांकि, अशोक तंवर का दलितों के बीच सैलजा जितना प्रभाव नहीं है, लेकिन हुड्डा के लिए दुश्मन तंवर नहीं बल्कि सैलजा है। इसलिए, हुड्डा ने बड़े दुश्मनों से निपटने के लिए छोटे दुश्मनों से परहेज नहीं किया। 

Related Post