हरियाणा विधानसभा में चंडीगढ़ व SYL पर प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास, पंजाब विधानसभा के प्रस्ताव का विरोध
Haryana Assembly Special Session: पंजाब एवं हरियाणा के बीच चंडीगढ़ के मुद्दे पर गर्मागर्मी के बीच हरियाणा विधानसभा का विशेष सत्र में संकल्प पत्र को सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया है। इस संकल्प प्रस्ताव में पंजाब पर सीधा निशाना साधा गया है। संकल्प प्रस्ताव पर तीन घंटे की चर्चा के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बहस का जवाब दिया और इसके बाद प्रस्ताव को पारित कर दिया गया। हरियाणा विधाानसभा के विशेष सत्र में राजधानी चंडीगढ़ को लेकर पंजाब विधानसभा द्वारा पारित प्रस्ताव के विरोध और एसवाईएल निर्माण, हिंदी भाषी क्षेत्र हरियाणा को देने सहित हरियाणा के हितों से जुड़े मुद्दों के समर्थन में संकल्प प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास हुआ। इसके बाद हरियाणा विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। इससे पहले संकल्प प्रस्ताव पर करीब तीन घंटे तक चली चर्चा का जवाब देते मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि सदन में सभी पक्षों की तरफ से 25 वक्ताओं ने संकल्प प्रस्ताव पर अपने विचार रखे हैं। सभी ने सरकार के संकल्प पत्र का समर्थन किया है। सीएम मनोहर लाल ने कहा कि 1955 से आज तक ये विषय चला आ रहा है, जिसके बाद राजीव लोंगोवाल समझौता हुआ, शाह कमीशन भी बनाया गया। सभी समझौततों की शर्तें और बातें भिन्न रही। एसवाईएल के विषय में भी सुप्रीम कोर्ट ने 2002 में अपना फैसला दिया, जिसके बाद 2003 में सीपीडब्ल्यूडी को यह नहर बनाने की बात कही गई। सीएम ने कहा कि पंजाब ने 2003 में ही फिर से एक विवादास्पद और अवैध एक्ट पास किया। 2004 से 2016 तक यह मामला अटका रहा, लेकिन 2016 में फिर से सुप्रीम कोर्ट ने एसवाईएल के पानी पर हमारा हक माना, लेकिन उसका एग्जीक्यूशन ऑर्डर अभी तक नहीं मिला। अगर कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट भी करना है तो वह किस पर किया जाए इसके लिए सलाह जरूर करेंगे। सदन में मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि आम आदमी पार्टी के लिए एसवाईएल एक दुविधा का विषय है। पंजाब में उनका स्टैंड कुछ और जबकि उनके प्रभारी सुशील गुप्ता का अपना अलग स्टैंड है। अरविंद केजरीवाल अभी तक इस पर कोई स्टैंड ले ही नहीं पाए। जगबीर सिंह मलिक ने बताया कि 1955 से ही यह मुद्दा उठा था। 23 अप्रैल 1966 को बना शाह कमीशन में कहा गया था कि खरड तहसील हरियाणा का हिस्सा बनेगी। 31 मई को आए इस तथ्य के बाद नौ जून को केंद्र की कैबिनेट सरकार ने निर्णय लिया कि खरड़ तहसील का पंजाबी भाषी क्षेत्र पंजाब और हिंदी भाषी क्षेत्र हरियाणा को दिया जाए। चंडीगढ़ को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया। अगर चंडीगढ़ केंद्र शासित प्रदेश नहीं बनता तो यह मुद्दा खड़ा नहीं होता। 1970 में इंदिरा गांधी अवार्ड में कहा गया कि चंडीगढ़ पंजाब को और 105 हिंदी भाषी गांव हरियाणा को दिए जाएं। तीनों में अलग-अलग बातें हुईं हैं। तभी से यह समस्या बनी हुई है।