चंडीगढ़। हरियाणा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने मांग की है कि राज्य में उद्योगों और रोजगार की स्थिति पर सरकार तत्काल श्वेतपत्र जारी करे। उन्होंने कहा कि हरियाणा में पिछले सात साल में कोई ऐसा बड़ा उद्योग नहीं लगा जिसमें प्रदेशवासियों को रोजगार मिल सके। सरकारी नौकरी के नाम पर भी बेरोजगारों से छल किया जा रहा है। पद खाली हैं, लेकिन सरकार की नीयत इन्हें भरने की नहीं है।
सरकार के दावों के विपरीत अब राज्य से उद्योगों का पलायन भी शुरू हो चुका। मारुति कंपनी ने मानेसर प्लांट से डिजायर गाड़ी का उत्पादन अहमदाबाद प्लांट के लिए शिफ्ट कर दिया है। मानेसर प्लांट में हर दिन एक हजार डिजायर गाड़ियों का उत्पादन होता था। उन्होंने यहां जारी बयान में कहा कि 2014 के बाद से हरियाणा में ऐसा कोई बड़ा उद्योग नहीं आया जो नौकरी दे सके, राजस्व से सरकार का खजाना भर सके।
कुमारी सैलजा ने कहा कि उद्योगों को बढ़ावा देने के नाम पर प्रदेश सरकार ने 2016 में लाखों रुपये खर्च करके गुरूग्राम के फाइव स्टार होटल में 'हैपनिंग हरियाणा' नाम से दो दिन का बड़ा इवेंट करके दावा किया था कि उद्योग प्रतिनिधियों के साथ 357 एमओयू साइन किए जिनसे 5 लाख, 84 हजार करोड़ का निवेश होगा। पांच लाख नए रोजगार सृजित होने का दावा भी किया था लेकिन 2021आधा बीत चुका, सभी दावे अब तक हवा में हैं। खरखौदा में आईएमटी विकसित की जानी थी, लेकिन अभी तक एक भी बड़ी कंपनी नहीं आई ।
यह भी पढ़ें- कांगड़ा में बारिश और भूस्खलन के बाद दर्जनों लोग लापता
यह भी पढ़ें- केजरीवाल ने झूठ बोलने की पीएचडी कर रखी है: गृह मंत्री
वास्तविकता यह है कि 2014 में भाजपा की सरकार बनने के बाद से ही उद्योगों का बुरा दौर शुरू हो गया था। 2019 में भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार बनने के बाद से तो काला युग शुरू हो गया। नया रोजगार तो दूर, पहले से नौकरी कर रहे हजारों लोगों को निकाल दिया गया।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा 2020 में जारी 'ईज ऑफ डूइंग बिजनैस' की रैंकिंग में हरियाणा देश में 16 वें स्थान पर खिसक गया। इससे साफ है कि हरियाणा में उद्योगों के लिए उपयुक्त माहौल सरकार उपलब्ध नहीं करवा पा रही । ताजा उदाहरण मारुति कंपनी का है। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के प्रयासो से गुरूग्राम में 1981 में मारुति का पहला प्लांट लगा। इसकी बदौलत ही पिछले 40 साल में गुरूग्राम, मानेसर, धारूहेड़ा, बावल ही नहीं बल्कि राजस्थान के नीमराणा, भिवाड़ी जैसे पिछड़े इलाकों का भी औद्योगिक विकास हुआ।