रोपवे हादसा: अभी भी ट्रॉलियों में हजारों फीट की उंचाई पर फंसे कई लोग, मेंटल स्ट्रैस के साथ पैनिक अटैक का खतरा

By  Vinod Kumar April 12th 2022 10:53 AM -- Updated: April 12th 2022 12:05 PM

त्रिकूट पर्वत पर हुए रोप-वे हादसे में मिशन पूरा नहीं हुआ है। दो ट्रॉलियों में 10 सैलानी अब भी फंसे हुए हैं। उन्हें दूसरी रात भी हवा में काटनी पड़ी। इस हादसे में दो लोगों की जान चली गई। 12 घंटे के रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर 37 लोगों को बचाया जा सका। इसके बाद रविवार को अंधेरा होने के चलते रेस्क्यू ऑपरेशन को रोकना पड़ा था। अभी तक 2 लोगों की मौत हो चुकी है। इस घटना पर सीएम हेमंत सोरेन ने भी ट्वीट कर दुख जताया हैं। साथ ही पूरे मामले की जांच की बात कही है। उन्होंने कहा कि त्रिकुट पहाड़ पर हुई घटना और इसमें हुई मौतों पर मैं अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं। इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की जाएगी। वहीं, हादसे के बाद युद्धस्तर पर राहत और बचाव कार्य युद्ध स्तर पर जारी है। एनडीआरएफ और बचाव दल द्वारा लोगों को सकुशल निकालने का प्रयास किया जा रहा है। इसमें विशेषज्ञों की भी सहायता ली जा रही है। इस हादसे पर सरकार की पूरी नजर है। Deoghar ropeway accident update इसके साथ ही सेना के अधिकारियों ने कहा है कि दोपहर बाद तक सभी लोगों को निकाल दिया जाएगा। इस बीच रेस्क्यू में लगाई गई मेडिकल टीम ने बताया है कि फंसे हुए लोग हाइड्रेशन और मेंटल स्ट्रेस के शिकार हो रहे हैं। मौके पर तैनात ITBP के डॉक्टर एस भारती ने बताया कि लंबे समय तक ऊंचाई पर लटके होने की वजह से लोग मेंटल स्ट्रेस में हैं। उन्हें पैनिक अटैक का खतरा है। इस बीच मौसम भी रेस्क्यू ऑपरेशन में चुनौती दे रहा है। झारखंड के इस इलाके में हीटवेव चलने लगती है। आज हवा का दबाव भी ज्यादा है। इसका सीधा असर रेस्क्यू में लगे उन जवानों पर पड़ रहा है है जो हवा में लटक कर लोगों की जिंदगी बचा रहे हैं। फिलहाल दो ट्रॉली मैं अभी भी पर्यटक फंसे हुए हैं ट्रॉली नंबर 7 और ट्रॉली नंबर 19 में 7 पर्यटकों के फंसे होने की बात बताई जा रही है। इन दोनों ट्रॉलियों का लोकेशन टफ है। पहाड़ के शिखर और रोपवे के वायर के स्लेंट लोकेशन की वजह से इन दोनों ट्रॉलियों में पहुंचना मुश्किल हो रहा है। लेकिन सेना के जांबाज ऑफिसर उन्हें निकालने में लगातार लगे हुए हैं। साइकेट्रिक की मदद से उन्हें नार्मल करने की कोशिश की जा रही है। पथरीले इलाके में गर्मी ज्यादा है और लंबे समय से उन्हें पानी नहीं मिल पाया इस वजह से रेस्क्यू कराए गए अधिकतर लोग डिहाइड्रेशन के भी शिकार हैं। नीचे आने के तुरंत बाद उनकी हेल्थ चेकअप की जा रही है। प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें अस्पताल भेजा जा रहा है।  

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