3 कृषि कानूनों को लेकर दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने गठबंधन सरकार पर दागे सवाल
चंडीगढ़। किसानों के मुद्दों को लेकर सीडब्ल्यूसी सदस्य और राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने प्रदेश में गठबंधन सरकार चला रहीं बीजेपी और जेजेपी पर कई सवाल दागे हैं। सांसद दीपेंद्र का कहना है कि गठबंधन पार्टियों ने 3 नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ चल रहे आंदोलन को समझने की बजाए उसे दबाने और बदनाम करने की कोशिश की। पहले किसानों पर लाठियां चलाई गईं और फिर आंदोलन की अगवानी कर रहे किसान संगठनों पर आरोप लगाया कि ये कांग्रेस द्वारा प्रायोजित है।
दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि सरकार की तरफ से दावा किया गया कि नए कृषि क़ानून किसानों के हित में हैं और विरोध करने वाले इन्हें सही से समझ नहीं पाए हैं। लेकिन अब सरकार के तमाम आरोपों, साज़िशों और दावों की पोल खुल गई है। केंद्र और पंजाब में बीजेपी का सहयोगी शिरोमणि अकाली दल ख़ुद इन 3 क़ानूनों के ख़िलाफ़ खुलकर बोल रहा है। शिअद भी वही बात बोल रहा है जो कांग्रेस लगातार कहती आ रही है।
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दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने बीजेपी-जेजेपी से सवाल पूछा है कि क्या शिरोमणि अकाली दल ने भी कांग्रेस के उकसावे में ऐसा किया? क्या शिरोमणि अकाली दल भी इन तीन कृषि क़ानूनों को सही से समझ नहीं पाया? क्या हरसिमरत कौर बादल का इस्तीफ़ा भी कांग्रेस द्वारा प्रायोजित है? हरियाणा के किसान आंदोलन और किसान नेताओं पर सवाल उठाने वाली जेजेपी अब क्यों चुप हैं? राज्यसभा सांसद ने कहा कि जेजेपी को किसान आंदोलन पर सवाल उठाने की बजाए ख़ुद की भूमिका पर सवाल उठाने चाहिए।
दीपेंद्र ने कहा कि क्योंकि आज प्रदेश की जनता जेजेपी से पूछ रही है कि क्या बीजेपी को फिर से सत्ता में लाने के लिए जेजेपी दोषी नहीं है? क्या किसानों पर हो रहे अत्याचार में जेजेपी की सबसे बड़ी भूमिका नहीं है? किसान विरोधी क़ानूनों का समर्थन करने वाली जेजेपी किसान हितैषी कैसे हो सकती है? सरकार ने जब किसानों पर लाठियां बरसाई तो जेजेपी ने सरकार का समर्थन क्यों किया? जेजेपी 3 काले क़ानूनों का समर्थन क्यों कर रही है? उसने शिरोमणि अकाली दल की तरह सरकार से किनारा क्यों किया? जेजेपी नेताओं को किसानों से ज़्यादा कुर्सी क्यों प्यारी है?
दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि बीजेपी सीधी लड़ाई लड़ने की बजाए, लुक्का-छिपी की रणनीति अपनाती है। वो किसी भी आंदोलन या चुनाव में पहले अपने एजेंट प्लांट करती है। फिर ख़ुद के प्लांट किए गए एजेंट्स से अपना ही विरोध करवाती है और बाद में सरकार विरोधी जनभावना को बांटने के लिए अपने प्लांटेड एजेंट्स का इस्तेमाल करती है। बीजेपी ने हरियाणा विधानसभा चुनावों में जेजेपी को प्लांट करके ऐसा ही किया था और अब किसान आंदोलन के साथ भी वो ऐसा ही कर रही है।