खेल स्टेडियम कोई पब-बार या डिस्को नहीं... जहां जाने पर सरकार टैक्स लगाए: हुड्डा
पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने खेल स्टेडियमों में जाने वाले लोगों से फीस वसूली के फैसले का कड़े शब्दों में विरोध किया है। हुड्डा का कहना है कि कांग्रेस कार्यकाल में हमने हरियाणा को खेलों का हब बनाया था। गांव-गांव और शहर-शहर में खेल स्टेडियम बनाए थे। लेकिन प्रदेश में बीजेपी ने सत्ता संभाले के बाद इन खेल स्टेडियमों को भगवान भरोसे छोड़ दिया। हुड्डा ने कहा कि खेल स्टेडियमों में स्टाफ और सुविधाएं देना तो दूर साफ-सफाई तक की व्यवस्था नहीं की गई, लेकिन बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि अब सरकार इन्हीं स्टेडियमों को वसूली का अड्डा बनाने जा रही है। हुड्डा ने कहा कि इन खेल परिसरों में बड़ी तादाद में युवा खेलने, खेल प्रतियोगिताओं, आर्मी व पुलिस भर्ती की तैयारी करने जाते हैं। आम आदमी यहां वर्जिस कर स्वास्थ्य लाभ लेने जाते हैं। यह कोई पब, क्लब, बार या डिस्को नहीं है जहां सरकार टैक्स लगाना चाहती है। नेता विपक्ष ने कहा कि सरकार की ऐसी नीतियों से खिलाड़ियों के मनोबल को धक्का लगेगा। इसलिए इस फैसले का कांग्रेस हर स्तर पर विरोध करेगी। खिलाड़ियों का कोटा खत्म करने वाले फैसले की तरह इस फैसले को भी वापिस लेना पड़ेगा। बीजेपी-जेजेपी सरकार हमेशा आम आदमी को लूटने की प्लानिंग करती रहती है। उसकी कोशिश रहती है कि कैसे लोगों की जेब से पाई-पाई निकाल ली जाए, जबकि मंदी, महामारी और रिकॉर्ड महंगाई के इस दौर में सरकार को लोगों की मदद करनी चाहिए। उन्हें आर्थिक रियायत और करों में छूट देनी चाहिए। हुड्डा ने एक बार फिर गेहूं किसानों के लिए एमएसपी पर 500 रुपये प्रति क्विंटल बोनस की मांग की। उन्होंने कहा कि इस बार बेमौसमी बारिश और गर्मी के जल्दी आगमन के चलते गेहूं का दाना छोटा रह गया है। किसान की पैदावार में प्रति एकड़ 5 से 10 क्विंटल का घाटा देखा गया। ऐसे में किसानों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए उन्हें बोनस दिया जाना चाहिए। जिस तरह अंतरराष्ट्रीय मार्केट में गेहूं के ऊंचे दाम चल रहे हैं, उसका लाभ प्रदेश के किसानों को भी मिलना चाहिए। भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बिजली संकट के लिए भी प्रदेश सरकार को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि सरप्लस उत्पादन क्षमता होने के बावजूद 14 महीने से प्रदेश के पावर प्लांट बंद पड़े हैं। इसकी वजह से लोगों को लंबे-लंबे पावर कट झेलने पड़ते हैं। उन्होंने कहा कि जनसेवा का हर क्षेत्र सरकारी अनदेखी का शिकार है। स्वास्थ्य सेवाओं का उदहारण देते हुए उन्होंन बताया कि कुरुक्षेत्र में 72 बेड पर 140 मरीजों को भर्ती करना पड़ रहा है। एक-एक बेड पर दो-दो, तीन-तीन मरीजों को रखा जा रहा है। अल्ट्रासाउंड के लिए मरीजों को 2- महीने इंतजार करना पड़ रहा है। सिर्फ कुरुक्षेत्र ही नहीं पूरे हरियाणा की यह स्थिति है।